कुछ समय पहले तक गैंग्स व गैंगवार की खबरें मुम्बई से सुनने को मिलती थी। लेकिन अब शायद दिल्ली भी मुम्बई की तर्ज पर चल निकली है। रविवार को रोहिणी इलाके में मेट्रो स्टेशन के पास हुई गैंगवार कोई पहली नहीं है। आधा पंजीकृत न से अधिक रैकेट ने दिल्ली को अपना डेरा बना लिया है। आए दिन ये रैकेट धाक जमाने के चलते आमने-सामने आकर टकराते रहते हैं।
2017 में तो ये गैंग 6 बार आमने-सामने आकर एक-दूसरे के खून के प्यासे बन चुके हैं। 2018 में भी रवि भारद्वाज को गोगी गैंग ने 15 गोलियों से भूनकर मृत्यु के घाट उतार दिया था। द्वारका जिले में ही इस वर्ष अब तक तीन गैंगवार की वारदात हो चुकी हैं। हालांकि दिल्ली पुलिस के कमिश्नर का बयान है कि दिल्ली में गैंगवार को कोई ट्रेंड नहीं है। रोहिणी की घटना को उन्होंने सिर्फ एक वारदात बताया है।
दिल्ली में जोगिदंर जोगी गैंग व सुनील उर्फ टिल्लू गैंग की आपसी दुश्मनी से दिल्ली पुलिस भी अनजान नहीं है। कई बार ये रैकेट आपस में टकरा चुके हैं। आपसी रंजिश के चलते ही दोनों गैंग के कई लोग मारे जा चुके हैं।
नीरज बवाना रैकेट से नीतू दाबोदा गैंग की रंजिश चल रही थी। इसी दौरान नीतू की मृत्यु हो गई व गैंग का कंट्रोल राजेश बवाना के हाथ में आ गया है। हालांकि राजेश कारागार में बंद है लेकिन उसके बाद भी वह गैंग को ऑपरेट कर रहा है। उसके गुर्गे वारदातों को अंजाम दे रहे हैं।
यमुनापार इलाके में एक्टिव नासिर गैंग व छेनू रैकेट में वर्चस्व की लड़ाई चल रही है। दिल्ली के अतिरिक्त दोनों गैंग वेस्ट उत्तर प्रदेश में भी सक्रिय हैं। खास बात ये है कि दोनों ही गैंग वारदातों को कुछ इस तरह से अंजाम देते हैं कि लोगों के बीच रैकेट की दहशत पैदा हो जाती है।
मंजीत महल व विकास दलाल कुछ समय पहले साथ मिलकर कार्य करते थे। लेकिन किसी बात पर अनबन हुई तो विकास ने मंजीत का साथ छोड़ दिया व दूसरे साथियों के साथ क्राइमकरने लगा। आपसी रंजिश के चलते ही विकास ने रविवार को मंजीत महल के राइट हैंड प्रवीण गहलौत की मर्डर की है।