एग्जिट पोल के नतीजों ने बता दिया है कि एक बार फिर से देश में मोदी की सरकार बनने वाली है। हालांकि एग्जिट पोल से पहले पॉलिटिक्स के एक्सपर्ट ये कहते थे कि इस बार देश में मोदी की लहर नहीं है। लेकिन वो गलत साबित हुए।
अगर एग्जिट पोल पर यकीन किया जा तो इस बार 2014 के मुकाबले मोदी की लहर ज्यादा बड़ी थी। नरेंद्र मोदी इतिहास रचने के लिए तैयार हैं। अगर मोदी दोबारा पीएम बनते है तो वो पहले गैर कांग्रेसी पीएम होंगे जिन्हें लगातार दूसरी बार सत्ता मिलेगी। आखिर इस बार के एग्जिट पोल के क्या है मायने? ये हैं वो तीन फैक्टर जिसकी तरफ एग्जिट पोल संकेत कर रहे हैं।
कांग्रेस मुक्त भारत?
इस बार चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा ने ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ के नारे का प्रयोग नहीं किया। लेकिन अगर एग्जिट पोल की माने तो कांग्रेस पार्टी का इस बार के चुनाव में सफाया होता दिख रहा है। ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस पार्टी के लिए आफत आ गई है।
अगर एनडीए की सरकार बनती है तो फिर उन्हें आर्टिकल 370 व 35A, राम मंदिर व यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने में ज्यादा कठिनाई नहीं होगी।
भाजपा की बड़ी जीत से कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी हो जाएगी। पहले से ही यहां सत्ता को लेकर भाजपा व कांग्रेस-जेडीएस के बीच खींचतान चल रही है। ऐसे में होने कि सम्भावना है कि एक बार फिर से कर्नाटक में भाजपा की सरकार बन जाए।
इसके अतिरिक्त राजस्थान व मध्यप्रदेश में भी राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं। पिछले वर्ष भाजपा यहां पराजय गई थी। लेकिन आने वाले दिनों में भाजपा इन राज्यों में छोटे दल व कांग्रेस पार्टी के सहयोगियों को तोड़ सकती है।
केरल में अपनी मौजूदगी पंजीकृत कराने के बाद भाजपा कई राज्यों में मुख्य विपक्षी दल के तौर पर सामने आ सकती है। कुछ एग्जिट पोल की माने तो बंगाल व ओडिशा में भाजपाक्लीन स्वीप भी कर सकती है। ओडिशा में भाजपा नवीन पटनायक के साथ केन्द्र व प्रदेश दोनों मोर्चे पर साझेदार बना सकती है।
कांग्रेस से ज़्यादा बड़ी चुनौती है क्षेत्रीय दल?
अगर मोदी की लहर रोकने की बात की जाए तो कांग्रेस पार्टी दूर-दूर तक नजर नहीं आती। कांग्रेस पार्टी से ज्यादा बड़ी मुक़ाबला भाजपा को समाजवादी पार्टी व बसपा से मिली है। यूपीमें एज्गिट पोल के नतीजे चौंकाने वाले हैं। कई एग्जिट पोल के मुताबिक यहां गठबंधन का गणित फेल हो गया है। जबकि कुछ पोल में फिफ्टी-फिफ्टी का मुकाबला बताया जा रहा है।News18-Ipsos Exit Poll के सर्वे में इस बार बताया गया है कि यूपी में भाजपा व उनके सहयोगी दल को 60-62 सीटों पर जीत मिल सकती है। जबकि गठबंधन को सिर्फ 17-19 सीटों पर जीत जीत से संतोष करना पड़ेगा।
परिवारवाद को नकारा
जिस शख्स को देश के अगले पीएम के तौर पर देखा जा जा रहा है उन्हें नतीजे आने के बाद कई कड़े सवाल के जवाब देने होंगे। अगर वो परिवारवाद को समाप्त नहीं करते तो उनकी पार्टी के लिए रास्ते कठिन हो जाएंगे। राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद कांग्रेस पार्टी ने गुजरात में अच्छा प्रदर्शन किया। इसके बाद उनकी पार्टी को मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ वराजस्थान में जोरदार जीत मिली। लेकिन लोकसभा के चुनाव में उनकी रणनीति फेल हो गई। न्याय स्कीम जिसे गेम चेंजर बताया जा रहा था उसका वोटर्स पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।