जानिए अमेरिका ने हिन्दुस्तान को ये देने से किया मना

अमेरिका ने हिंदुस्तान को 44 वर्ष पहले मिला कारोबारी वरीयता का पंजीकृत ा वापस ले लिया है. डोनाल्ड ट्रंप सरकार ने बोला है कि पांच जून से हिंदुस्तान के करीब 2000 उत्पादों को प्रवेश शुल्क में दी गई छूट नहीं मिलेगी.

इस निर्णय  से हिंदुस्तान  के कुछ उत्पाद अमेरिकी मार्केट में महंगे हो जाएंगे  उनकी प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता प्रभावित हो सकती है.हिंदुस्तान ने इस निर्णय को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है.

ट्रंप का निर्णय : राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी कांग्रेस पार्टी (संसद) के कई सांसदों के अनुरोध को नजरअंदाज करते हुए शुक्रवार को यह घोषणा की. उन्होंने कहा,भारत ने अमेरिकी माल के लिए अपना मार्केट पर्याप्त तरीका से खोलने के बारे में कोई आश्वासन नहीं दिया है. इसलिए मैंने तय किया है कि पांच जून से (जीएसपी प्रोग्राम के तहत) हिंदुस्तान का लाभ पाने वाले विकासशील देश का पंजीकृत ा समाप्त करना अच्छा होगा.

पहले ही दी थी चेतावनी : ट्रंप ने चार मार्च को बोला था कि अमेरिका हिंदुस्तान को दिया जीएसपी पंजीकृत ा खत्म करना चाहता है. 60 दिन के नोटिस की अवधि तीन मई को खत्म हो चुकी है.

भारत ने कहा, योगदान से मामले हल कर लेंगे: भारत के वाणिज्य मंत्रालय ने बोला कि यह दुभाग्र्यूपूर्ण है कि अमेरिका ने हमारी ओर से दिया प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया. हिंदुस्तानहमेशा ऐसे मामलों में अपने राष्ट्रीय हित को बनाए रखेगा. आर्थिक संबंधों में कई मामले समय के साथ चलते रहते हैं  उन्हें योगदान से हल कर लिया जाता है. अमेरिका जैसे विकसित राष्ट्रों की ओर से हिंदुस्तान जैसे विकासशील राष्ट्रों को शुल्क में छूट का फायदा खुद अपनी ओर से, बिनी किसी जवाबी फायदा की अपेक्षा के  बिना किसी भेदभाव के दिया जाता है.हिंदुस्तान ने उम्मीद जताई कि अमेरिका के साथ आर्थिक संबंध मजबूत करने के लिए उसके साथ मिलकर कार्य करते रहेंगे.

कांग्रेस ने केन्द्र सरकार को घेरा
अमेरिका के इस निर्णय पर कांग्रेस पार्टी ने सरकार को घेरा. पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने बोला कि यह दोहरा झटका है. पहला, हिंदुस्तान ने अमेरिका के दबाव में ईरान से कच्चे ऑयल का आयात रोक दिया. दूसरा, अमेरिका से मिली विशेष छूट भी अब वापस ले ली गई है.

भारत – अमेरिका दोनों को नुकसान

  • भारत वाहन कल-पुर्जों एवं कपड़ों से जुड़े करीब 2,000 उत्पादों का बिना किसी शुल्क के निर्यात कर सकता है. 2017 में हिंदुस्तान ने 5.7 अरब डॉलर के उत्पादों का निर्यात किया था.
  • अमेरिका के छोटे कारोबारियों को भी नुकसान होगा. उन्हें 30 करोड़ डॉलर अलावा कर देना होगा. इससे नौकरियां जाएंगी, निवेश रद्द होगा  उपभोक्ताओं के लिए लागत बढ़ेगा.