चीन के खिलाफ इन देशों ने खोला मोर्चा, झुकने पर किया मजबूर

चीन को डर है कि भारत इस एलायंस में शामिल हो गया तो एलायंस का मकसद हल हो जायेगा। इस एलायंस का मकसद वैश्विक व्यापार, क्षेत्रीय सुरक्षा और मानवाधिकारों के मुद्दों पर चीन को आइसोलेट करना और उसके खिलाफ प्रतिबंध लागू करना है। चीन शुतुरमुर्ग की तरह रेत में गर्दन छुपाकर इस खतरे को (एलायंस को) टल जाने का भ्रम पाल कर बैठ गया।

रिपोर्ट के मुताबिक चीन से जुड़े हुए मुद्दों पर सक्रियता से रणनीति बनाकर सहयोग के साथ उचित प्रतिक्रिया देनी चाहिए। चीन के आलोचक और अमेरिका की रिपब्लिकन पार्टी के सीनेटर मार्को रूबियो इस समूह के सह-अध्यक्षों में से एक हैं।

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक शुक्रवार को अमेरिका, जर्मनी, ब्रिटेन, जापान, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, स्वीडन, नॉर्वे और यूरोप की संसद के सदस्यों समूह का ऐलान किया गया है।

चीन की ओर से कहा गया है 20वीं सदी की तरह उसे अब परेशान नहीं किया जा सकेगा और पश्चिम के नेताओं को कोल्ड वॉर वाली सोच से बाहर आ जाना चाहिए।

भारत की दुनिया में बढ़ रही ताकत के आगे अब बीजिंग भी झुकने पर मजबूर है। इस बात को अगर इस तरह से कहें कि चीन को दुनिया में अगर किसी से डर है तो वो भारत है। इसलिए नहीं कि भारत का बाजार चीन को मजबूर कर रहा है.

बल्कि इसलिए कि भारत विश्वकी धुरी बनता जा रहा है। अभी हाल में चीन के खिलाफ आठ देशों ने चीन के खिलाफ एलायंस बनाया है। इन आठ देशों में अमेरिका के अलावा जर्मनी, ब्रिटेन, जापान, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, स्वीडन, नॉर्वे और यूरोपियन संसद के सदस्य शामिल हैं।