चार पे चार वार, हिल गया पाक हर मोर्चे का ऐसे मिल रहा जवाब

पुलवामा आतंकी हमले के बाद पाकिस्‍तान पूरी तरह से अलग-थलग पड़ चुका है। भारत ही नहीं बल्कि दुनिया ने इस हमले की निंदा की है। अतंरराष्‍ट्रीय संगठनों ने इस आतंकी हमले की भर्त्‍सना ही नहीं की बल्कि उसे लताड़ भी लगाई। इसके चलते पाकिस्‍तान पर चौरतरफा दबाव बढ़ा है। अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप के साथ विपक्षी डेमोक्रेट्स ने इस हमले की कड़ी निंदा की। इस कठिन घड़ी में अमेरिका हर पल भारत के साथ खड़ा रहा। इसका पाकिस्‍तान पर अतिरिक्‍त दबाव बना। आइए जानते हैं इस हमले के बाद किस तरह से निरंतर पाकिस्‍तान पर दबाव बढ़ता गया और क्‍यों सहम गया पाकिस्‍तान।

1- संयुक्‍त राष्‍ट्र में मुंह की खाई पाक ने
आतंकी हमले के बाद संयुक्‍त राष्‍ट्र में कश्‍मीर मुद्दे का राग अलाप रहे पाकिस्‍तान को मुंह की खानी पड़ी। पुलवामा आतंकी हमले के बाद पाकिस्‍तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने पत्र लिखकर यूएन महासचिव से इस मामले में दखल देने की अपील की। लेकिन संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इस हमले की कड़ी निंदा करते हुए पाक की मांग को खारिज कर दिया। गुटेरेस ने भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को लेकर चिंता जाहिर की है। इतना ही नहीं संयुक्‍त राष्‍ट्र ने पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद के हमले में मारे गए सुरक्षाबलों को न्‍याय दिलाने के लिए आश्‍वासन दिया। संयुक्‍त राष्‍ट्र ने कहा कि हम जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में आतंकी हमले की कड़ी निंदा करते हैं। संगठन ने इस हमले में जान गंवाने वालों सुरक्षाकर्मियों एवं भारत के लोगों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त किया।

2- एफएटीएफ ने दो टूक कहा, आतंकी संगठनों को खत्‍म करें
आतंकी संगठनों को आर्थिक मदद पर नजर रखनेवाली संस्था फाइनेंशियल एक्शन टेकन फोर्स (एफएटीएफ) ने भी कड़े तेवर दिखाते हुए पाक से कार्रवाई के लिए कहा है। यही नहीं संस्था ने कहा कि आतंकियों की पनाहगाह बन चुका पाकिस्तान इसे लेकर गंभीर नहीं दिखता। जरूरत है कि अल-कायदा, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों पर सख्त एक्शन लिया जाए। अंतर्राष्ट्रीय संस्था एफएटीएफ ने पाकिस्‍तान को इस वर्ष अक्‍टूबर तक के लिए ग्रे लिस्‍ट में ही रख दिया है। पाकिस्‍तान को चाहिए कि वह आतंकी संगठनों को रोकने के एक्‍शन प्‍लान पर काम करे। एफएटीएफ ने यह भी कहा कि जनवरी 2019 तक पाकिस्‍तान द्वारा इस संबंध में कुछ खास नहीं किया गया है। संस्‍था ने आरोप लगाया है कि पाकिस्‍तान मई 2019 तक के टार्गेट को पाने के लिए और एक्‍शन प्‍लान पर काम करने मे कौताही बरत रहा है।

3- अमेरिका ने पाकिस्‍तान को फटकारा, विपक्ष भी आगे आया
हमले के बाद अमेरिका ने पाकिस्‍तान की घोर निंदा की है। अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने सख्‍त लहजों में पाकिस्तान को आतंकी संगठन जैश और उसके नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने और आतंकवादी सुरक्षित ठिकानों को नष्‍ट करने को कहा। अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा हम लगातार भारत सरकार के संपर्क में है। अमेरिकी विदेश विभाग ने भी कहा कि हम भारत के प्रति केवल सहानुभूति नहीं, बल्कि पूरे सहयोग का भरोसा दिलाते हैं। ट्रंप के राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने एक बार आत्मरक्षा के लिए भारत के अधिकार का समर्थन किया और मदद का पूरा भरोसा दिलाया। अमेरिका ने पाकिस्‍तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के इस बयान की घोर निंदा की जिसमें इमरान ने कहा था कि ‘अगर भारत हमले की सोच रहा हो तो उसे यह याद रखना चाहिए कि वह हमले की शुरुआत कर सकता है, लेकिन उसका अंत उसके हाथ में नहीं होगा।’

4- अफगान सरकार ने पाक को लताड़ा
अफगानिस्‍तान ने पाकिस्‍तान को आइना दिखाते हुए कहा कि उसके कथनी और करनी में बड़ा फर्क है। अफगानिस्‍तान के विदेश मंत्रालय ने पाकिस्‍तानी राजदूत को तलब कर दो टूक कहा कि अगर पाकिस्‍तान आतंकी हिंसा का सहारा लेता है तो अफगान शांति वार्ता प्रभावित हो सकता है। अफगान विदेश मंत्रालय ने कहा कि आतंकी हमला और शांति प्रक्रिया दोनों पाकिस्‍तान की प्रतिबद्धताओं के साथ विरोधाभास है। इस हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान पर आरोप लगाते हुए कहा कि इस्लामाबाद ने अपनी धरती पर सक्रिय आतंकवादियों को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए हैं।