चाणक्य नीति : जीवन में कामयाब होने के लिए करे ये, बस इन आदतों से रहें दूर

सफल होने के लिए झूठ का सहारा नहीं लेना चाहिए. झूठ बोलने की आदत से दूर रहना चाहिए. झूठ बोलने वाले व्यक्ति को कहीं भी सम्मान प्राप्त नहीं होता है.

 

समय आने पर झूठ बोलने वाले व्यक्ति सभी लोग दूरी बना लेते हैं. समाज में ऐसे लोगों को संदेह की दृष्टि से भी देखा जाता है. इसलिए इस आदत से दूर रहें.

चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को गलत संगत से बचना चाहिए. गलत संगत में रहने से अपयश प्राप्त होता है. प्रतिभा नष्ट होती है. व्यक्ति के जीवन में संगत का विशेष महत्व बताया गया है. अच्छी संगत में बैठने से प्रतिभा में निखार आता है. ज्ञान में वृद्धि होती है.

आलस से दूर रहना चाहिए. आलस व्यक्ति की प्रतिभा का नाश करता है. आलसी व्यक्ति अपने सभी कार्यों को समय पर पूर्ण नहीं कर पाता है जिस कारण उसे हानि उठानी पड़ती है. आलस एक रोग की तरह से इससे जितनी जल्दी हो सके, दूरी बना लेनी चाहिए. आलसी व्यक्ति के पास अवसरों की कमी रहती है.

परिश्रम से प्राप्त सफलता स्थाई होती है. इसकी चमक दूर तक दिखाई देती है. परिश्रम से प्राप्त की गई सफलता आत्मविश्वास में वृद्धि करती है. सफलता दिलाने में आत्मविश्वास की अहम भूमिका होती है. जीवन में सफल होना चाहते हैं तो इन आदतों से दूर बना कर रखें.

जीवन में सफलता सभी को चाहिए लेकिन सफलता इतनी आसानी से प्राप्त नहीं होती है. स्वामी विवेकानंद के अनुसार जीवन में सफल होने के लिए निरंतर प्रयत्न करते रहने चाहिए.

जो व्यक्ति असफल होने पर रूक जाता है. और अपने लक्ष्य का त्याग कर देता है उसे सफलता कभी नहीं मिलती है. स्वामी विवेकानंद के अनुसार मनुष्य को अपने लक्ष्य की प्राप्ति से पहले कहीं नहीं रूकना चाहिए.

चाणक्य की चाणक्य नीति कहती है कि व्यक्ति अपने गुणों से महान बनता है. गीता के उपदेश में भी भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से गुणों की चर्चा करते हैं. भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि गुणों से युक्त मनुष्य अपनीं इंद्रियों पर विजय प्राप्त करता है.