आज नारद जयंती है. भगवान ब्रह्मा के पुत्र मुनि नारद धर्म के प्रचारप्रसार व लोक कल्याण के तीनों लोकों में विचरण किया करते थे. देवर्षि नारद को भगवान का मन बताया गया है.नारद मुनि का न सिर्फ देवता बल्कि दानव भी पूरा सम्मान करते थे. भूत, वर्तमान एवं भविष्य-तीनों कालों के ज्ञाता श्री नारद जी द्वारा रचित पुराण में ज़िंदगी से जुड़े ऐसे बड़े सूत्र बनाए गए हैं, जिनका पालन करने पर इंसान कभी भी दु:खी या दरिद्र नहीं होने कि सम्भावना है
नारद पुराण के अनुसार अपने केशों को कभी भी मुंह से नहीं दबाना चाहिए. ऐसा करने पर अशुभ फल प्राप्त होते हैं व जातक न सिर्फ निरोगी होता है बल्कि उसके सुख में भी कमी आती है. केशों की पवित्रता का न सिर्फ हिंदू धर्म में बल्कि सिख धर्म में भी बहुत ज्यादा महत्व है.
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नारद मुनि का बोलना है कि सिर में लगाने के बाद बचे हुए ऑयल को शरीर पर नहीं मलना चाहिए यह दुखकर होता है. यह मौत शोक के समान कष्टकारी होता है. इससे शरीर अशुद्ध होता है व धन की बरकत नहीं रहती है.
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नारद पुराण में सदाचार व धैर्य पर विशेष जोर दिया गया है. देवर्षि नारद के अनुसार आदमी को सदैव पर पुरुष व स्त्री के साथ संबंध बनाने से बचना चाहिए. इससे न सिर्फ इस लोक में बल्कि परलोक में भी कष्ट भोगना पड़ता है.
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नारद पुराण में दिन में शयन करने को अशुभ बताया गया है. नारद मुनि के बताए सूत्र के अनुसार दिन में सोने से घर में धन वैभव की कमी होती है.
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भूलकर भी निर्वस्त्र होकर शयन नहीं करना चाहिए. इससे देवता व पितृ दोनों ही नाराज होते हैं.
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नारद पुराण के अनुसार मदिरा एवं जुआ आदमी के अत्यंत ही हानिकारक है, इसलिए उसे सदैव इससे दूर रहना चाहिए.
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नारद पुराण के अनुसार नाखून को चबाना अशुभ लक्षण है. इससे देवी लक्ष्मी नाराज होती हैं व मनुष्य बीमार होता है.
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नारद पुराण के अनुसार आदमी को कभी भी बाएं हाथ से जल का पात्र पकड़कर जल नहीं ग्रहण करना चाहिए.
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नारद पुराण के अनुसार आदमी को कभी भी सूर्योदय व शाम के समय नहीं सोना चाहिए. नारद मुनि के अनुसार यह समय भगवान की साधना-आराधना का है, इसलिए समय इष्ट देवता का ध्यान कल्याणकारी है.