खुलासा : श्रीलंका में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के बीच था मनमुटाव, अनसुनी की गई हमले की खुफिया…

श्रीलंका में एक के बाद एक आठ धमाकों के सदमे से अभी लोग उबरे भी नहीं थे, कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के बीच मनमुटाव के चलते हमले की खुफिया चेतावनी की अनदेखी ने लोगों के जख्मों पर नमक रगड़ने का काम कर दिया। सरकार के एक मंत्री ने कहा कि हमले को लेकर खुफिया जानकारी से प्रधानमंत्री को अंधेरे में रखा गया, उन्हें कोई जानकारी नहीं दी गई। इस हमले में मरने वालों की संख्या 290 हो गई है, जिसमें पांच भारतीय भी हैं।

जबकि, 500 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। स्वास्थ्य मंत्री रजित सेनारत्ने कहा कि प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे को हमले को लेकर एक विदेशी खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट की जानकारी नहीं दी गई थी। 11 अप्रैल की अपनी रिपोर्ट में खुफिया एजेंसी ने अनजान से नेशनल तौहीद जमात नामक आतंकी संगठन की तरफ से ईस्टर के मौके पर हमले की चेतावनी दी गई थी। खुफिया रिपोर्ट में पुलिस से साफ कहा गया था कि इस्लामी आतंकी गुट चर्चो को निशाना बना सकता है।

सेनारत्ने ने कहा कि जब हम लोगों ने खुफिया रिपोर्ट के बारे में प्रधानमंत्री से पूछा तो उन्होंने बताया कि उन्हें इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। मंत्री ने कहा कि पिछले साल अक्टूबर ने राष्ट्रपति मैत्रीपाल सिरिसेन ने विक्रमसिंघे को बर्खास्त कर दिया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राष्ट्रपति को उन्हें बहाल करना पड़ा, लेकिन उनके बीच मनमुटाव कम नहीं हुआ। सेनारत्ने ने कहा कि हमले के वक्त राष्ट्रपति देश में नहीं थे।

प्रधानमंत्री ने जब सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाई तो कोई सदस्य बैठक में नहीं पहुंचा। इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि प्रधानमंत्री के बुलाने पर सुरक्षा परिषद के सदस्यों ने आने से मना कर दिया हो। इससे पहले प्रधानमंत्री की सुरक्षा परिषद की बैठकों में बुलाया ही नहीं जाता था।