ईरान से कच्चे तेल की आपूर्ति से भारत में आ सकती है पेट्रोल डीजल की दिक्कत, ऐसी होंगी कीमते

ईरान से कच्चे तेल की आपूर्ति मामले में भारत एक बड़ी दुविधा में है. भारत के सम्मुख दो मई के बाद ईरान से कच्चे तेल की आपूर्ति नामुमकिन है, वहीं ईरान में चाहबहार बंदरगाह में निवेश, पाकिस्तान के दंभ के कारण अफगानिस्तान से व्यापारिक चुनौतियों के मद्देनजर वैकल्पिक मार्ग तय करना दुविधापूर्ण हो सकता है. ऐसे में अमेरिका से सामरिक संबंधों के बीच भारत को कच्चे तेल के लिए एक बार फिर मिडल ईस्ट में सऊदी अरब और संयुक्त अरब गणराज्य का द्वार खटखटाना पड़ सकता है.

भारत के सऊदी अरब सहित संयुक्त अरब अमीरात सहित तेल उत्पादक ओपेक देशों से अच्छे संबंध हैं. ओबामा प्रशासन ने आर्थिक प्रतिबंध के बावजूद भारत को चाहबहार बंदरगाह में निवेश के लिए विशेष छूट दी थी. उस समय ओबामा प्रशासन को लगता था कि भारत और अफ़ग़ानिस्तान के बीच व्यापारिक संबंधों में यह नीति विषयक एक अहम पहलू था, लेकिन ट्रम्प प्रशासन ने इस तरह की कोई छूट दिए जाने से इनकार किया है. चीन, अमेरिका के बाद भारत तीसरा बड़ा देश है, जो कच्चे तेल के आयात पर निर्भर है. भारत प्रतिदिन 49,30,000 बैरल प्रतिदिन कच्चे तेल का आयात करता है.

सोमवार को विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने प्रेस कांफ़्रेंस में घोषणा की है कि विशिष्ट कटौती छूट के अंतर्गत भारत सहित आठ देशों को दी गई विशेष छूट 02 मई को ख़त्म हो रही है. इसके बाद किसी छूट का कोई प्रावधान नहीं है.

ट्रम्प प्रशासन ने गत मई में पांच बड़े देशों की आणविक डील से हटने और गत नवंबर में भारत और चीन सहित आठ देशों को ईरान से कच्चे तेल की आपूर्ति किए जाने के मामले में अगले छह महीने तक की विशिष्ट छूट दी थी. इस अवधि के खत्म होने के बाद भारत सहित आठ देशों पर आर्थिक प्रतिबंध प्रारंभ हो जाएंगे.

इटली, ग्रीस और ताइवान ने पहले ही ईरान से कच्चा तेल लेने से इनकार कर दिया था, जबकि भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया और टर्की को 02 मई तक की छूट दी गई थी.

पोंपियो ने चेतावनी भरे स्वर में कहा कि इस अवधि के ख़त्म होने के बाद अब किसी भी देश को कोई छूट नहीं दी जा सकती. अब ईरान से कोई देश शून्य स्तर पर तेल आपूर्ति नहीं कर पाएगा और इस प्रतिबंध के उल्लंघन करने वाले देश के विरुद्ध कारवाई की जा सकेगी.

भारत अपने ज़रूरत के लिए 80 फीसदी कच्चे तेल का आयात करता है. इस आपूर्ति के लिए भारत अभी तक मुख्यतया ईरान पर निर्भर रहा है. हालांकि भारत ने गत दिसंबर में कच्चे तेल की गिरावट में 41 फीसदी की कमी आई है.

भारत ईरान से प्रतिदिन 3,2000 बैरल कच्चे तेल का आयात कर रहा है. इससे भारत ईरान से कच्चा तेल लेने वाला छठा देश बन गया, जबकि पहले ईरान की तीसरे बड़े देश के रूप में गिनती होती थी.