केंद्र सरकार कर रही किसानों को बड़े तोहफे देने की तैयारी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुआई में केंद्र सरकार किसान कल्याण में जुटी हुई है। बीते साढ़े चार वर्षों में मोदी सरकार ने किसानों के हित में इतने कदम उठाए हैं, जितने पहले किसी सरकार ने नहीं उठाए। मोदी सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के संकल्प के साथ काम कर रही है। मोदी सरकार की नीतियों का ही असर है कि किसान खुशहाल हो रहा है। नवभारत टाइम्स के अनुसार मोदी सरकार किसानों की मदद के लिए कई उपायों पर विचार कर रही है। किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के तहत बिना कोई जमानत लोन की सीमा दोगुनी कर 2 लाख रुपये की जा सकती है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में बदलाव कर कवरेज बढ़ाया जा सकता है और दावे के तेजी से निपटारे के कदम उठाए जा सकते हैं। नीति आयोग इस संबंध में कृषि और वित्त मंत्रालयों के साथ सभी संभव विकल्पों पर विचार कर रहा है। सरकार केसीसी को रुपे एटीएम-कम-डेबिट किसान क्रेडिट कार्ड में बदलने पर भी जोर दे रही है क्योंकि इससे फंड हासिल करने में आसानी हो जाएगी।

दलहन-तिलहन की खरीद में 13 गुना वृद्धि

मोदी सरकार ने पिछले साढ़े चार साल में दलहन और तिलहन के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न तरह की गतिविधियां शुरू की हैं जिसके कारण 2009-2014 के दौरान की गई खरीद की तुलना में 2014 से आज तक दलहन और तिलहन की खरीद में लगभग 13 गुना वृद्धि हुई। इस दौरान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 44142.50 करोड़ रुपये की इन वस्तुओं की खरीद की गयी है। इससे करीब 54 लाख किसानों को लाभ पहुंचा है। मध्य प्रदेश , गुजरात , राजस्थान , उत्तर प्रदेश , महाराष्ट्र , तेलंगना और आन्ध्र प्रदेश में 35800 करोड़ रुपये की 78.84 लाख टन दलहन और तिलहनों की खरीद की गयी।

खाद्यान्न का रिकॉर्ड उत्पादन

मोदी सरकार की नीतियों का ही असर है कि जहां एक तरफ किसान खुशहाल हो रहा है, वहीं खाद्यान्न का रिकॉर्ड उत्पादन हो रहा है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक देश में वर्ष 2017-18 में 284.83 मिलियन टन अनाज का उत्‍पादन हुआ है, जबकि 2010 से 2014 के बीच प्रति वर्ष 255.59 मिलियन टन औसत उत्‍पादन हुआ था। इसी प्रकार वर्ष 2017-18 में दाल का 25.23 मिलियन टन (चौथ पूर्व अनुमान) उत्‍पादन हुआ है। 2010 से 2014 के बीच प्रतिवर्ष औसतन 18.01 मिलियन टन की तुलना में दाल उत्‍पादन में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। बागवानी फसलों में रिकॉर्ड 15.79 प्रतिशत वृद्धि हुई, नीली क्रांति के अंतर्गत मछली उत्‍पादन 26.86 प्रतिशत बढ़ा और पशुपालन तथा दूध उत्‍पादन में 23.80 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

मोदी सरकार ने फसल उत्‍पादन लागत घटाने के लिए मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड, नीम कोटेड यूरिया के इस्‍तेमाल और प्रति बूंद अधिक फसल से संबंधित योजनाएं लक्षित रूप में लागू की हैं। जैव कृषि को प्रोत्‍साहित करने के लिए 2014-15 में परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) प्रारंभ की गई और पूर्वोत्‍तर राज्‍यों के लिए पूर्वोत्‍तर क्षेत्र मिशन ऑर्गेंनिक वेल्‍यू चेंज डवलपमेंट (एमओवीसीडी-एनईआर) प्रारंभ किया गया। मोदी सरकार ने राष्‍ट्रीय कृषि बाजार (ई नैम) प्रारंभ किया गया है ताकि एक देश एक बाजार की ओर बढ़ते हुए किसानों के उत्‍पाद के लिए लाभकारी मूल्‍य सुनिश्चित किया जा सके। मार्च 2018 तक ई नैम के साथ 585 मंडियों को जोड़ने का काम किया गया। केंद्र सरकार खाद्य प्रसंस्‍करण के माध्‍यम से कृषि में गुणवत्‍ता को प्रोत्‍साहित कर रही है। 6 हजार करोड़ रूपये के आवंटन के साथ प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना प्रारंभ की गई है।

नई अनाज खरीद नीति को मंजूरी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार हर पल किसानों की उन्नति के लिए कार्य कर रही है। 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए प्रतिबद्ध मोदी सरकार ने हाल ही में नई अनाज खरीद नीति को मंजूरी दी है। केंद्रीय कैबिनेट द्वारा मंजूर किए गए ‘प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान’ (PM-AASHA) के तहत राज्यों को एक से ज्यादा स्कीमों का विकल्प दिया जाएगा। अगर, बाजार की कीमतें समर्थन मूल्य से नीचे जाती हैं तो सरकार एमएसपी को सुनिश्चित करेगी और किसानों के नुकसान की भरपाई भी करेगी। यह स्कीम राज्यों में तिलहन उत्पादन के 25% हिस्से पर लागू होगी।

लागत से डेढ़ गुना एमएसपी भरेगी नई रफ्तार

सरकार ने किसानों की डबल इनकम के लिए कृषि की उत्पादकता बढ़ाने के साथ ही ऐसे कई और उपाय किए हैं जिनसे उनकी अतिरिक्त आय हो सके। सरकार के कदमों में सबसे नया है एमएसपी को लागत का डेढ़ गुना किया जाना। कुछ फसलों के मामलों में तो इसे लागत के दोगुने तक भी किया गया है। सबसे बड़ी बात यह है कि किसानों को डेढ़ गुना मूल्य देने के लिए बाजार मूल्य और एमएसपी में अंतर की रकम सरकार वहन करेगी। सरकार का पूरा प्रयास है कि खेत से उपभोक्ता तक सामान की जो कीमत बढ़ती है उसका लाभ किसानों को मिले।

खरीफ फसलों की एमएसपी में ऐतिहासिक बढ़ोत्तरी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार की प्राथमिकाता में हमेशा देश का किसान रहा है। मोदी सरकार ने 4 जुलाई को कैबिनेट की बैठक के बाद किसानों को एक बड़ा तोहफा दिया। केंद्र सरकार ने खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में ऐतिहासिक बढ़ोत्तरी की है। सरकार ने खरीफ फसलों की लागत पर न्यूनतम समर्थन मूल्य डेढ़ गुना या उससे ज्यादा बढ़ा दिया है। सरकार ने धान की फसल पर सबसे ज्यादा 200 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की है। पहले किसान को एक क्विंटल धान के लिए 1550 रुपए मिलते थे लेकिन उन्हें 1750 रुपए दिए जाएंगे। कपास (मध्यम आकार का रेशा) का एमएसपी 4,020 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 5,150 रुपये प्रति क्विंटल और कपास (लंबा रेशा) का एमएसपी 4,320 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 5,450 रुपये प्रति क्विंटल पर कर दिया गया। इसी तरह अरहर का एमएसपी 5,450 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 5,675 रुपये प्रति क्विंटल, मूंग का एमएसपी 5,575 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 6,975 रुपये प्रति क्विंटल और उड़द का एमएसपी 5,400 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 5,600 रुपये प्रति क्विंटल किया गया है।

कैबिनेट ने जिन 14 फसलों का एमएसपी बढ़ाया है, उसमें- धान, ज्वार, बाजरा, रागी, मक्का, अरहर, मूंग, उड़द, मूंगफली, सूरजमुखी बीज, सोयाबीन, तिल, रामतिल और कपास शामिल है।