किसानों को लेकर सरकार ने लिया ये बड़ा फैसला, निकला ये समाधान, होने जा रहा शुरू…

किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा, ”मैं यह साफ करना चाहता हूं कि संयुक्त किसान मोर्चा को तीन कृषि कानूनों से राज्यों को बाहर निकलने की अनुमति देने का कोई प्रस्ताव नहीं मिला है। हम इन कानूनों रद्द किए जाने और हमारी फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी से कम कुछ भी स्वीकार नहीं करेंगे।”

 

किसान नेता ने कहा, ”यदि यह (प्रस्ताव) सही बात है तेा यह सरकार की ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति है।” भारतीय किसान यूनियन (एकता उग्राहण) प्रमुख जोगिंदर सिंह ने भी सरकार से इस प्रकार का कोई प्रस्ताव मिलने की बात से इनकार किया है। स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव ने फेसबुक के माध्यम से संवाद के दौरान सरकार पर ”अफवाह फैलाने” का आरोप लगाया।

इससे पहले 4 जनवरी को हुई बैठक के बेनतीजा रहने के बाद यह बैठक महत्वपूर्ण है। सरकार ने 30 दिसंबर को छठे दौर की वार्ता में किसानों की बिजली सब्सिडी और पराली जलाने संबंधी दो मांगों को मान लिया था। इससे पहले की किसी वार्ता में कोई कामयाबी नहीं मिली थी।

तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन जारी है। वहीं आज सरकार और नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के बीच आठवें दौर की वार्ता हो रही है।

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, खाद्य मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश 40 प्रदर्शनकारी किसान संगठन नेताओं के साथ सरकार की ओर से वार्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

आठवें दौर की वार्ता शुक्रवार अपराह्न 2 बजे से विज्ञान भवन में हो रही है। इससे एक दिन पहले पहले प्रदर्शनकारी किसानों ने तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की अपनी मांग को लेकर ट्रैक्टर रैलियां निकाली, जबकि केंद्र ने इस बात पर जोर दिया कि वह इन कानूनों वापस लेने के अलावा हर प्रस्ताव पर विचार के लिए तैयार है।

दोनों पक्ष गतिरोध दूर करने का प्रयास कर रहे हैं। इसबीच, ऐसी अफवाहें भी सुनने को मिल रही हैं कि कुछ राज्यों को केंद्रीय कृषि कानूनों के दायरे से बाहर निकलने की इजाजत दी जा रही है, लेकिन किसान संगठनों ने कहा कि उन्हें सरकार से इस प्रकार का कोई प्रस्ताव नहीं मिला है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इस प्रकार का कोई प्रस्ताव दिए जाने की बात से इनकार किया है।