उत्तर कोरिया के ये हथियार दिखावा साबित हो सकते है। विशेषज्ञों का ये भी कहना है कि किम इसके जरिए अमेरिका के नए राष्ट्रपति जो बाइडन पर शुरुआत से ही दबाव बनाना चाहते हैं।
इसके अलावा बीते वर्ष उत्तर कोरिया पर लगे सख्त प्रतिबंधों और कोरोना महामारी की वजह से जबरदस्त आर्थिक नुकसान हुआ है। इसकी वजह से वहां के आम लोगों पर जबरदस्त रोष है।
किम कहीं न कहीं इसको दबाकर रखना चाहते हैं और लोगों का ध्यान भटकाना भी चाहते हैं। आपको बता दें कि केसीएनए के मुताबिक वहां की संसद ने किम के परमाणु हथियारों को बढ़ावा देने के एजेंडे पर अपनी मुहर लगा दी है। हालांकि एजेंसी ने ये नहीं बताया है कि सदन की बैठक या सेशन कब बुलाया गया था, जिसमें इस पर मुहर लगाई गई।
अमेरिका को इस परेड के जरिए एक संदेश देना चाहते थे। ये सब कुछ ऐसे समय पर हुआ है जब अमेरिका में सत्ता हस्तांतरण होने में कुछ ही दिन रह गए हैं।
हालांकि, समाचार एजेंसी एपी ने बताया है कि उत्तर कोरिया की सरकारी मीडिया ने ऐसी कोई तस्वीर जारी नहीं की है जिससे इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल की पहचान की जा सके। लिहाजा इस पर संदेह जताया जा रहा है कि इस परेड में ऐसी कोई मिसाइल थी भी या नहीं।
ऐसा होने की दो बड़ी वजह रहीं। पहली वजह उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन का वो बयान था जो उन्होंने सत्ताधारी पार्टी की कांग्रेस की बैठक में दिया था।
इसमें उन्होंने देश के वैज्ञानिकों से अधिकतम दूरी की सबसे घातक मिसाइल बनाने और साथ ही परमाणु हथियारों का जखीरा बढ़ाने की बात कही थी। उनका कहना था कि एक ऐसी मिसाइल बनाई जाए जिसकी मारक क्षमता अमेरिका की मुख्य भूमि तक हो।
उत्तर कोरिया की मानें तो इस परेड में सबसे खास सबमरीन से लॉन्च की जाने वाली इंटरकॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल थी। उत्तर कोरिया की समाचार एजेंसी केसीएनए की तरफ से कहा गया है कि इस परेड में दिखाई जाने वाली मिसाइल दुनिया का सबसे ताकतवर हथियार है।
ये मिसाइल उन सभी से अधिक घातक है जिनका परीक्षण उत्तर कोरिया ने पहले किया था। केसीएनए की मानें तो इस परेड में सॉलिड फ्यूल से चलने वाले कई हथियारों को भी दर्शाया गया था। इन्हें मोबाइल लॉन्चर के जरिए भी छोड़ा जा सकता है।