कमजोर लोगों को शिक्षा एवं रोजगार में 10 प्रतिशत आरक्षण देने की संसद ने दी मंजूरी

सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को शिक्षा एवं रोजगार में 10 प्रतिशत आरक्षण देने के प्रावधान वाले ऐतिहासिक संविधान संशोधन विधेयक को बुधवार को संसद की मंजूरी मिल गई. अब इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा. राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह कानून बन जाएगा. उधर, पीएम मोदी ने आर्थिक आरक्षण बिल पास होने पर इसे सामाजिक न्याय की जीत बताया. 

पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए कहा, “राज्यसभा में आरक्षण संशोधन विधेयक पास होने पर प्रसन्नता हुई. इस बिल से कमजोर वर्ग को फायदा होगा. यह हमारी युवा शक्ति को अपने कौशल को दिखाने के लिए व्यापक कैनवास देगा. संविधान बनाने वालों को श्रद्धांजलि देता हूं.”

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “लोक-कल्याण का निरंतर प्रयास है, जन-जन का साफ नीयत में विश्वास है, चरितार्थ होता ‘सबका साथ-सबका विकास’ है. आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग को आरक्षण देने वाले विधेयक के राज्य सभा में पास होने पर प्रधानमंत्री मोदी जी को हार्दिक बधाई और इसका समर्थन करने वाले सभी सदस्यों का आभार.”

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, “देश में सामाजिक क्रांति लाने वाले, सामान्य वर्ग के लिए आरक्षण विधेयक राज्यसभा में पारित होने पर देशवासियों को बधाई. आज का दिन सही मायने में संविधान और देश के लोकतंत्र के लिए ऐतिहासिक है. मैं फिर एक बार प्रधानमंत्री जी का, संसद का और देश की जनता का अभिनंदन करता हूं.”

इससे पहले, राज्यसभा ने करीब 10 घंटे तक चली बैठक के बाद संविधान (124 वां संशोधन), 2019 विधेयक को सात के मुकाबले 165 मतों से मंजूरी दे दी. इससे पहले सदन ने विपक्ष द्वारा लाए गए संशोधनों को मत विभाजन के बाद नामंजूर कर दिया. लोकसभा ने इस विधेयक को कल ही मंजूरी दी थी जहां मतदान में तीन सदस्यों ने इसके विरोध में मत दिया था.

उच्च सदन में विपक्ष सहित लगभग सभी दलों ने इस विधेयक का समर्थन किया. कुछ विपक्षी दलों ने इस विधेयक को लोकसभा चुनाव से कुछ पहले लाये जाने को लेकर सरकार की मंशा तथा इस विधेयक के न्यायिक समीक्षा में टिक पाने को लेकर आशंका जतायी. हालांकि सरकार ने दावा किया कि कानून बनने के बाद यह न्यायिक समीक्षा की अग्निपरीक्षा में भी खरा उतरेगा क्योंकि इसे संविधान संशोधन के जरिये लाया गया है.

केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए इसे सरकार का एक ऐतिहासिक कदम बताया. उन्होंने कांग्रेस सहित विपक्षी दलों से यह पूछा कि जब उन्होंने सामान्य वर्ग को आर्थिक आधार पर आरक्षण दिए जाने का अपने घोषणापत्र में वादा किया था तो वह वादा किस आधार पर किया गया था. क्या उन्हें यह नहीं मालूम था कि ऐसे किसी कदम को अदालत में चुनौती दी जा सकती है.

उन्होंने कहा कि यह हमारी संस्कृति की विशेषता है कि जहां प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने एससी और एसटी को आरक्षण दिया वहीं पिछड़े वर्ग से आने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सामान्य वर्ग को आरक्षण देने की यह पहल की है. उन्होंने एसटी, एससी एवं ओबीसी आरक्षण को लेकर कई दलों के सदस्यों की आशंकाओं को निराधार और असत्य बताते हुए कहा कि उनके 49.5 प्रतिशत से कोई छेड़छाड़ नहीं की जा रही है. वह बरकरार रहेगा. विधेयक को प्रवर समिति में भेजने के द्रमुक सदस्य कनिमोई सहित कुछ विपक्षी दलों के प्रस्ताव को सदन ने 18 के मुकाबले 155 मतों से खारिज कर दिया.

इससे पहले विधेयक पर हुई चर्चा में कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी दलों द्वारा इस विधेयक का समर्थन करने के बावजूद न्यायिक समीक्षा में इसके टिक पाने की आशंका जताई गई और पूर्व में पीवी नरसिंह राव सरकार द्वारा इस संबंध में लाये गये कदम की मिसाल दी गई. कई विपक्षी दलों का आरोप था कि सरकार इस विधेयक को लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखकर लायी है. अन्नाद्रमुक सदस्यों ने इस विधेयक को ‘असंवैधानिक’ बताते हुए सदन से
बहिष्कार किया.