चाइना ने अमेरिका पे अपना विरोध दर्ज कराते हुए प्रकट की इस बात की नाराजगी

चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने दो जनवरी को ताइवान को दिए संदेश में बल का प्रयोग करने की धमकी देते हुए बोला था कि अगर जरुरत पड़ी तो वह बाहरी ताकतों का मुकाबला करने के लिए इस अधिकार का प्रयोग कर सकता है । हालांकि शी ने अमेरिका का नाम नहीं लिया लेकिन अमेरिका ताइवान को हथियारों की आपूर्ति करने वाला मुख्य राष्ट्र है व वह ताइवान के विरूद्ध खतरों का जवाब देने के लिए कानूनी तौर पर बाध्य है ।

अमेरिकी सीनेट ने ताइवान के साथ संबंधों को बढ़ावा देने वाला विधेयक पारित किया 
इससे पहले भी अमेरिकी सीनेट में ताइवान के साथ संबंधों को बढ़ावा देने वाले एक विधेयक के पारित होने के बाद चाइना ने अमेरिका के समक्ष आधिकारिक रूप से अपना विरोध दर्ज कराते हुए नाराजगी प्रकट की थी । अमेरिका व ताइवान के बीच सभी स्तरों पर यात्रा को बढ़ावा देने के लिए अमेरिकी सीनेट ने ताइवान यात्रा कानून पारित किया था । विधेयक में बोला गया है कि अमेरिका की यह नीति होनी चाहिए कि ताइवान के उच्च स्तर के ऑफिसर अमेरिका आएं, अमेरिकी अधिकारियों से मिलें व राष्ट्र में कारोबार करें ।

अमेरिकी सीनेट ने अमेरिका-ताइवान के रिश्तों को बढ़ावा देने वाले एक विधेयक को गुरुवार (1 मार्च) को पारित कर दिया । ‘द ताइवान ट्रैवल एक्ट’ का उद्देश्य अमेरिका एवं ताइवान के बीच यात्राओं को ”हर स्तर पर” प्रोत्साहित करना है । विधेयक को जनवरी में प्रतिनिधि सभा ने सर्वसम्मति से पारित किया था ।

चीन द्वारा द्वीप पर कब्जा जमाने के लिए बल का प्रयोग करने के नए खतरों के बीच इस वर्ष बड़े पैमाने पर नयी रूपरेखा वाले सैन्य अभ्यासों की बुधवार को घोषणा की।आधिकारिक सेंट्रल न्यूज एजेंसी ने रक्षा मंत्रालय के योजना प्रमुख मेजर जनरल येह क्यो-हुइ के हवाले से बोला कि ताइवान के सशस्त्र बल नियमित तौर पर ऐसे एक्सरसाइज करते रहते हैं लेकिन इस बार के एक्सरसाइज चाइना के संभावित हमले के विरूद्ध रक्षा करने के नए युद्ध कौशलों पर आधारित है। चाइना इस स्व शासित द्वीप पर अपना दावा जताता है।ताइवान 1949 में गृह युद्ध के समय मुख्य भूभाग से अलग हो गया था।

विधेयक में यह बोला गया कि अमेरिका आने वाले, अमेरिकी अधिकारियों से मुलाकात करने वाले व राष्ट्र में कारोबार के सिलसिले में आने वाले उच्च स्तरीय ताइवानी अधिकारियों के लिए अमेरिकी नीति होनी चाहिए । इस विधेयक को कानून बनने के लिये अब सिर्फ राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के हस्ताक्षर का इंतजार है व इसके रास्ते में अब कोई व्यवधान भी दिखता प्रतीत नहीं हो रहा क्योंकि इसे सर्वसम्मति से पारित किया गया है ।