ओडिशा में चक्रवात के बाद आई ये बड़ी समस्या, हो सकता है भारी नुकसान

इलाके की रहने वाली बहानरनी दास ने बताया कि उन्होंने 1999 के चक्रवात के बाद इस तरह की ऊंची लहरें नहीं देखी थीं. अपनी एक एकड़ जमीन की चिंता करते हुए उन्होंने कहा, “बारिश और तूफान पहले की तरह थे, लेकिन समुद्री पानी का बहाव अलग था. खारे पानी ने जमीन को खराब कर दिया है, अब इस पर कुछ भी खेती करना मुश्किल होगा.”

समुद्री तटों के किनारे इन इलाकों में कई सालों से लगातार कटाव एक समस्या बनी हुई है. समुद्र हर साल आगे बढ़कर घरों और खेतों को तबाह करता है और वहां की मिट्टी को भी खारा बनाता है. पर्यावरण विशेषज्ञों ने कई बार चेतावनी दी है कि तटों के किनारे व्यवसायिक विकास के बदले अगर जंगलों और मैंग्रोव को महत्व नहीं दिया गया, तो समुद्री कटाव जारी रहेगा.

अधिकारियों ने बताया कि मौसम विभाग (IMD) ने चक्रवात के दौरान 2-4 मीटर ऊंची समुद्री लहरों का अनुमान जताया था. बालासोर और भद्रक में ये लहरें अपनी पीक पर गईं.

भुवनेश्वर में स्थानीय मौसम विभाग के निदेशक एच आर बिस्वास ने अखबार को बताया, “लहरें पूर्णिमा के कारण भी बहुत ज्यादा ऊंची थी, जो लैंडफॉल के समय के साथ मिल गया. समुद्री लहरें 7 मीटर या 20 फीट तक ऊंची थीं.”

56 साल के सुदर्शन मलिक ने बताया कि समुद्री लहरों से होने वाले नुकसान का पता समय आने पर ही चलेगा. अपने तालाब से मरी हुई मछलियों को निकालते हुए उन्होंने कहा, “मैं ताजे पानी में रहने वाली मगुरा, कोउ जैसी मछलियां पालता हूं.

वो खारे पानी में जिंदा नहीं रह सकती हैं. हम सभी एक ही समस्या का सामना कर रहे हैं. समुद्र का पानी हमारे खेतों और तालाबों में घुस गया है.” इस इलाके में अधिकतर लोगों के लिए मछली पालन और खेती ही कमाई का बड़ा जरिया है.

बालासोर के बहनागा ब्लॉक में तलपाड़ा गांव के रहने वाले अधिकतर लोग अब भी राहत शिविरों से अपने घर नहीं लौट पाए हैं. इसी जगह पर बुधवार सुबह तूफान टकराया था.

कुछ लोग गांव पहुंचकर अपने घरों के छप्पड़ और दीवारों को हुए नुकसान का आकलन कर रहे हैं. बालासोर जिले के बहनागा और रेमुना ब्लॉक और भद्रक जिले के धामरा और बासुदेवपुर के कई गांवों में समुद्री पानी घुस गया है.

चक्रवात ‘यास’ के खत्म होने बाद गुरुवार को ओडिशा के तटीय इलाकों में लोगों को राहत मिली है. हालांकि सुमद्र तटों के किनारे 140 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चली हवाओं ने कई कच्चे घरों कों नुकसान पहुंचाया.

इसके अलावा बड़ी संख्या में पेड़ और बिजली के खंभे गिर गए. हालांकि तूफान से कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ. तूफान के कमजोर पड़ने के बाद बुधवार शाम से प्रशासन ने राहत कार्यों को शुरू किया. लेकिन भारी बारिश के कारण राज्य के निचले इलाकों में पानी भरा हुआ है.