एक दलित पीड़ित ने रामनाथ कोविंद को खत लिखकर की यह मांग

ऊना मामले के एक दलित पीड़ित ने मंगलवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को खत लिखकर ख़्वाहिश मृत्यु की मांग की है. पीड़ित ने कहा कि गुजरात गवर्नमेंट ने उनसे किया कोई भी वादा पूरा नहीं किया है. उन्होंने बोला कि उनमें से एक 7 दिसंबर से दिल्ली में आमरण उपवास करेगा.

अपने परिवार की ओर से लिखते हुए वशराम सरवइया (28) ने लिखा है कि उस वक्त CM आनंदीबेन पटेल द्वारा किए किसी भी वादे को गुजरात गवर्नमेंट ने पूरा नहीं किया है. “उन्होंने बोला था कि हर एक पीड़ित को 5 एकड़ भूमि दी जाएगी, पीड़ितों को उनकी योग्यता के अनुसार सरकारी जॉब दी जाएगी  मोटा सामढियाला को एक विकसित गांव में बदल दिया जाएगा. घटना हुए दो वर्ष  चार महीने हो गए लेकिन गवर्नमेंट ने अपना कोई भी वादा पूरा नहीं किया  न ही वादे पूरा करने की कोई प्रयासकी.

वशराम, उनके छोटे भाई, पिता  मां उन्हीं 8 दलितों में शामिल थे जिन्हें गौ रक्षकों ने गिर सोमनाथ जिले के ऊना तालुका के मोटा सामढियाला गांव में 11 जुलाई, 2016 को पीटा था. हमलावरों ने इस परिवार पर गौ मर्डर करने का आरोप लगाया था. लेकिन बाद में पुलिस की जांच में पता चला कि वह मरे हुए जानवरों के शवों से चमड़ा निकालने का कार्य करते हैं. उनके साथ मारपीट की वीडियो पूरे राष्ट्र में वायरल हो गई थी. जिसके बाद राज्य में दलितों ने विरोध प्रदर्शन भी किया. वशराम का कहना है कि ये उनका पैतृक व्यवसाय है.

वशराम ने लिखा है, “हम पशुओं की खाल बेचने का कार्य करते थे  उसे छोड़ने के बाद आजीविका के लिए कुछ नहीं बचा. यह संभव है कि भविष्य में हम भूख से मर जाएं. हम अपने मामले को बोलकर  लिखकर कई बार पेश कर चुके हैं लेकिन गुजरात गवर्नमेंट ने हमारी किसी भी कठिनाई की ओर कोई ध्यान नहीं दिया.

उनका कहना है कि उन्हें  बाकी पीड़ितों को बहुत दुख है कि गवर्नमेंट ने दलितों के विरूद्ध दर्ज 74 मामलों को वापस नहीं लिया. ये मामले घटना के बाद राज्य में हुए हिंसक प्रदर्शनों के दौरान दर्ज हुए थे. उन्होंने खत में लिखा है, “पुलिस ने आंदोलन के दौरान दलितों के विरूद्ध कई झूठे मामले दायर किए थे.” 10वीं तक पढ़े लिखे वशराम का कहाना है कि वो  उनका परिवार अब अपना ज़िंदगीसमाप्त करना चाहते हैं. उन्हें गवर्नमेंट की ओर से कोई सुरक्षा मुहैया नहीं कराई गई है. गवाहों को न्यायालय तक सुरक्षित पहुंचाने के लिए पुलिस ने कुछ नहीं किया  आरोपियों को भी बेल मिल गई.

उन्होंने खत में आगे लिखा है, “सरकार हमारी मांगों को पूरा करने में नाकाम रही है. हम बहुत दुखी हैं.हम अब आगे जीना नहीं चाहते इसलिए हम ख़्वाहिश मृत्यु की इजाजत मांग रहे हैं.