उत्तराखंड में घूसखोरी और भ्रष्टाचार के खिलाफ युवक ने उठाई आवाज तो गिरफ्तार हुए असिस्टेंट कमिश्नर

खटीमा के असिस्टेंट कमिश्नर वाणिज्य कर (अब राज्य कर) शेर सिंह रावत ने वर्ष 2012 में सितारगंज निवासी इकशाद अहमद से उसके फर्म के मामलों को निपटाने के लिए एक लाख रुपये की डिमांड की थी। शिकायतकर्ता ने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाया तो असिस्टेंट कमिश्नर गिरफ्तार हो गया। इस मामले की सुनवाई के बाद जिला जज एवं विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण की कोर्ट ने शुक्रवार को उन्हें दोषी मानते हुए पांच साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई है।

दरअसल, शिकायतकर्ता इकशाद अहमद की फर्म को असिस्टेंट कमिश्नर शेर सिंह रावत ने 2008, 2010 व 2011 में नोटिस दिए थे और सभी मामलों के निस्तारण के बदले प्रति केस सालाना 25-25 हजार के हिसाब से एक लाख की डिमांड की थी। जब यह रकम अदा नहीं की तो रावत ने 2008-09 के मामले में एकतरफा फैसला देते हुए फर्म पर छह लाख 25 हजार का टैक्स लगा दिया। इसके खिलाफ इकशाद ने अपील की तो रावत ने एक लाख देने पर सारे केस निपटाने की बात कही।

साथ ही कहा कि यदि रकम का भुगतान नहीं किया तो टैक्स लगाता रहूंगा। इसके बाद इकशाद ने रावत को 45 हजार रुपये दिए। उसका कहना था कि भ्रष्टï को पकड़वाने के लिए रिश्वत दी गई। विजिलेंस निरीक्षक राजन लाल आर्य ने मामले की जांच की तो असिस्टेंट कमिश्नर के घूसखोरी की प्रवृत्ति का होना साबित हुआ, जिसके बाद ही ट्रैप टीम का गठन किया गया, जिसके बाद एसपी विजिलेंस हल्द्वानी की टीम ने शेर सिंह रावत को 11 जून 2012 को घूस लेते हुए गिरफ्तार कर लिया था।