जांच एजेंसी के बयान के अनुसार कंपनी ने 17 नवंबर 2007 को बॉम्बे शेयर मार्केट को गलत सूचना दी. उसमें उसे कोयला ब्लाक आवंटन की सूचना दी जबकि यह कोयला ब्लाक वास्तव में फरवरी 2008 में आवंटित किया गया. साथ ही इसे संयुक्त रूप से मेसर्स प्रकाश इंडस्ट्रीज लि। व मेसर्स एसकेएस इस्पात क्षमता लि। को आवंटित किया गया था. इस गलत सूचना के परिणामस्वरूप प्रकाश इंडस्ट्रीज के शेयर में उल्लेखनीय उछाल आया.
प्रवर्तन निदेशालय ने आरोप लगाया कि शेयर मूल्य में कृत्रिम रूप से तेजी को भुनाने के लिए कंपनी ने 62,50,000 तरजीही शेयर प्रीमियम भाव 180 रुपये पर पांच चुनिंदा कंपनियों को दिए. इससे कंपनी को शेयर पूंजी के रूप में 118.75 करोड़ रुपये प्राप्त हुए.
जांच एजेंसी के अनुसार कंपनी को यह राशि गलत नेटवर्थ की जानकारी व बीएसई को गलत सूचना के आधार पर प्राप्त हुई. इस प्रकार, यह क्राइम की कमाई है जिसे अस्थायी तौर पर पीएमएलए के तहत अटैच किया गया है. प्रवर्तन निदेशालय के अनुसार चल व अचल संपत्ति के रूप में 117.09 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति कुर्क की गई.