इस शख्स की वजह से मिला पहला Eye Bank नेत्र दान हुआ संभव

प्रदेश में कार्निया ट्रांसप्लंट (Cornea Transplant) की सुविधा न होने से बहुत से लोगों की जिंदगी के अंधेरे उजाले में नहीं बदल पाए. प्रदेश सरकारों ने जब ऐसे लोगों के लिए कुछ नहीं किया तो जम्मू का एक युवा वकील सलीम कुरैशी आगे आया. उसने न्यायालय के सहारे न सिर्फ जम्मू में आई बैंक की स्थापना के लिए सारे चिकित्सा एजुकेशन विभाग को मजबूर कर दिया, बल्कि उन लोगों की ख़्वाहिश भी पूरी की, जो पहले नेत्रदान नहीं कर पाते थे.

कुरैशी ने हाई कोर्ट में कुछ वर्ष पहले जनहित याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने प्रदेश के स्वास्थ्य एवं चिकित्सा एजुकेशन विभाग को राजकीय मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) अस्पताल जम्मू में आई बैंक स्थापित करने के आदेश देने के लिए कहा. हाई कोर्ट ने कई महीनों तक चली जिरह के बाद विभाग को जम्मू  श्रीनगर के मेडिकल कॉलेजों में आई बैंक स्थापित करने के आदेश दिए, लेकिन वकील कुरैशी का प्रयत्न यही समाप्त नहीं हुआ.

कोर्ट के निर्देशों के बावजूद जीएमसी जम्मू ने आई बैंक स्थापित नहीं किया. इसके बाद उन्होंने न्यायालय में अवमानना याचिका दायर की. कुरैशी ने स्वास्थ्य एवं चिकित्सा एजुकेशन विभाग को आई बैंक स्थापित करने के लिए मजबूर कर दिया. उनके प्रयासों का ही फल है कि पिछले महीने जम्मू संभाग का पहला आई बैंक जीएमसी अस्पताल जम्मू में स्थापित हुआ. अब इससे नेत्रदान करने वालों की ख़्वाहिश पूरी हो सकेगी. जम्मू में कई ऐसे लोग थे जो नेत्रदान के लिए आगे आते थे, लेकिन जब उन्हें पता चलता था कि यहां तो इसकी व्यवस्था ही नहीं है तो वे निराश हो जाते थे.

आई बैंक के अभाव में कार्निया ट्रांसप्लांट भी न के बराबर होता था. आई बैंक की स्थापना से जीएमसी अस्पताल में छह मरीजों के कार्निया ट्रांसप्लांट हुए हैं. किसी की मृत्यु होने के छह घंटों के भीतर उसका कार्निया लिया जा सकता है. सलीम कुरैशी का बोलना है कि यहां पर कई ऐसे नेत्रहीन हैं, जो कार्निया मिलने पर फिर से देख सकते हैं. उनका कोशिश है कि ऐसे लोग फिर से ङ्क्षजदगी के रंग देख सकें. ग्रामीण स्तर पर लोगों को नेत्रदान के प्रति जागरूक किया जा सके. लोगों में नेत्रदान को लेकर कई भ्रांतियां हैं, जिस कारण वे आगे नहीं आते हैं. वे इन भ्रांतियों को दूर करने का पूरा कोशिश कर रहे हैं.

एडवोकेट कुरैशी एक गैर सरकारी संस्था स्माइल यूथ क्लब का भी गठन किया है. इसमें वह लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के लिए अभियान चलाते हैं. उनका बोलना है कि दूरदराज क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं बहुत कम हैं. ऐसे लोगों को सुविधाएं दिलाने के लिए अगर उन्हें न्यायालय का सहारा लेना पड़ता है तो इससे भी वह पीछे नहीं हटते. उन्होंने अपने साथ कई युवाओं को जोड़ा है, जो उन्हीं की राह पर चल रहे हैं.