इस पत्थर को निकालने या ले जाने वाले हो जाते है बर्बाद, जानिए ऐसे…

आम धारणाओं के आगे विज्ञान भी फेल है. हैरानी की बात है कि 21वीं सदी में भी लोग धारणाओं के असर में ज़िंदगी यापन कर रहे हैं. एक धारणा के चलते हरियाणा के चरखी दादरी जिले के कल्याणा गांव की खादान में उपस्थित हिलना पत्थर यानि फ्लैक्सीबल सैंड स्टोन बाहर नहीं निकाला जा रहा.

कल्याणा गांव के लोगों  प्रदेश के भूगर्भ वैज्ञानिकों में यह धारणा बन चुकी है कि इस पत्थर को निकालने या ले जाने वाले बर्बाद हो जाएंगे. ग्रामीणों में रच-बस चुकी इस धारणा का नतीजा है कि हरियाणा सरकार भी इन पत्थरों को खादान से न निकालने पर मजबूर है. जिससे इन दुर्लभ पत्थरों को बाहर निकालने पर विराम लग चुका है.

चरखी दादरी जिले से सात किलोमीटर दूर कल्याणा गांव की पहाड़ियों में 384 मीटर की गहराई में हिलना पत्थर उपलब्ध है. दुलर्भ खनिज पदार्थों की श्रेणी में आने वाला यह पत्थर दुनिया के सिर्फ तीन ही राष्ट्रों में पाया जाता है. ब्राजील के मिनास जिराईस, अमेरिका के उतरी कैरोलिना  हिंदुस्तान के हरियाणा में.

कल्याणा गांव दुनिया का तीसरा जगह है, जहां पीला हिलना पत्थर उपस्थित है. प्रदेश के भूगर्भ विभाग ने इस पत्थर की खोज के बाद इसे निकालने की सोची तो थी, लेकिन ग्रामीणों ने उन्हें धारणा के प्रति आगाह कर दिया. उन्होंने विभाग को बताया कि हिलना पत्थर ले जाने वाले बर्बाद हो जाते हैं. इसलिए, भूगर्भ वैज्ञानिकों ने हाथ पीछे खीच लिए.

अधिकांश लोगों को इसके बारे में जानकारी नहीं

हरियाणा में उपस्थित हिलना पत्थर के बारे में हर कोई नहीं जानता. इसे लचीला बलुआ पत्थर के अतिरिक्त डांसिंग स्टोन ऑफ हरियाणा भी बोला जाता है. पीला हिलना पत्थर हाथ से टच करने पर हिलने लगता है. प्रदेश सरकार ने अपनी प्रतियोगी परीक्षाओं में हाल ही में इसके बारे में सवाल भी पूछा था.
दुर्लभ खनिज पदार्थ को नहीं निकालेंगे बाहर: दीपक
हरियाणा भूगर्भ विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक मुकेश कुमार का बोलना है कि हिलना पत्थर दुर्लभ खनिज पदार्थ है. विभाग ने इसे खादान से बाहर न निकालने का निर्णय किया है.ग्रामीणों के साथ ही पुराने भू-वैज्ञानिकों में भी यह धारणा है कि इसे ले जाने वालों पर विपदा आती है.