भारत इस देश के साथ मिलकर बनाएगा हाईटेक हथियार, जानकर चीन के छूटे पसीने

आपको बता दें कि भारत ने इज़रायल की रक्षा क्षेत्र की कई बड़ी कंपनियों को भारत के साथ काम करने का न्योता दिया है. कहा जा रहा है कि 2027 तक हथियारों के मामले में भारत ने तक़रीबन 70 फीसदी आत्मनिर्भर बनने का लक्ष्य तय किया है.

 

इसके लिए आने वाले सालों में क़रीब 130 अरब डॉलर के खर्च का खाका तय किया गया है. यही नहीं डाटा विश्लेषण समेत 9 प्रमुख क्षेत्रों में इज़रायल और भारत आपसी सहयोग के लिए साथ हैं.

इजरायल मिसाइल , सेंसर, साइबर सिक्योरिटी, जैसे क्षेत्रों में अगुवा रहा है. ये ऐसे समय में हुआ है जब भारतीय सशस्त्र बल नेक्स्ट जेनरेशन की बराक -8 सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली को डीआरडीओ-इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (IAI) के 30,000 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं के तहत शामिल किया गया है. 1999 में कारगिल के दौरान भी इजरायल के साथ हमारे गुप्त द्विपक्षीय संबंध रहे हैं. 2014 की मोदी सरकार के तहत इसे और मज़बूती मिली.

इस उप कार्य समूह (SWG) का लक्ष्य मैत्रीपूर्ण देशों को निर्यात के अलावा टेक्नॉलॉजी ट्रांसफर, को-डेवलपमेंट, को-प्रोडक्शन, आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस का आदान-प्रदान करना है.

अगले पांच सालों में क़रीब पांच अरब डॉलर के रक्षा निर्यात का लक्ष्य तय किया गया है. इजरायल भारत के टॉप फोर आर्म्स सप्लायर्स में से एक है और क़रीब 1 बिलियन डॉलर के हथियार सप्लाई करता है.

भारत अब ख़ुद को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की कोशिशों में जुटा हुआ है और इसमें बड़ी भूमिका इज़रायल निभा रहा है. भारत ने इज़रायल की मदद से हाई-टेक वेपन सिस्टम बनाने और उसे अपने मित्र देशों को बेचने की योजना तैयार की है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारतीय रक्षा सचिव और इजरायल के समकक्ष की अध्यक्षता में गुरुवार को रक्षा सहयोग पर एक संयुक्त कार्य समूह का गठन किया गया. ये समूह इस तरह की संयुक्त परियोजनाओं को बढ़ावा देने का काम करेगा.