आज रात चीन कर सकता इस देश पर हमला, दे डाली चेतावनी

इसके अलावा Arctic में तो मानो रूस अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए अब super active mode में आ चुका है। अमेरिकी स्पेस कमांड के मुताबिक 15 दिसंबर को ही रूस ने स्पेस में एक और anti-satellite टेस्ट किया है।

 

रूस ने यह टेस्ट तब किया है जब इस महीने की शुरुआत में चीन ने Arctic में trading routes के बारीकी से अध्ययन के लिए एक नई विशेष satellite लॉन्च करने का ऐलान किया था।

इसके अलावा भी दिसंबर और नवंबर में रूस Arctic में एक के बाद Hypersonic और Ballistic मिसाइल्स का टेस्ट करता आया है। रूस इस क्षेत्र में चीन को एक बड़े प्रतिद्वंदी के रूप में देखता है, और ऐसे में हो सकता है कि रूस बार-बार मिसाइल परीक्षण कर चीन को एक कड़ा संदेश देना चाहता है।

चीन की नज़र यहाँ Northern Sea Route पर है, और इसीलिए वह अपनी एक Arctic नीति भी जारी कर चुका है, जिसके तहत चीन अपने आप को ‘Near Arctic State’ कहता है। वह भी तब, जब Arctic से उसका दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं है।

उदाहरण के लिए मलक्का स्ट्रेट को ही ले लीजिये! मौजूदा समय में यह चीन के व्यापार की सबसे कमजोर नब्ज़ है। चीन के करीब 80 फीसदी एक्स्पोर्ट्स इसी रूट से होते हुए जाते हैं। हालांकि, रूस यहाँ भारत के साथ मिलकर मलक्का के मुहाने पर इसी वर्ष सितंबर में एक विशाल युद्धाभ्यास कर चुका है।

भारत ने इस वर्ष SCO के तहत रूस में होने वाले कावकाज़ सैन्य अभ्यास में जाने से इंकार कर दिया था। उसके बाद भारत ने रूस को बंगाल की खाड़ी में सैन्य अभ्यास करने के लिए बुलाया था.

जिसे भारत के मित्र रूस ने ठुकराया नहीं, और 4 सितंबर को यह सैन्य अभ्यास शुरू हुआ। इस युद्धाभ्यास की Timing बेहद महत्वपूर्ण थी, क्योंकि इस वर्ष मई महीने से ही भारत और चीन के बीच में भीषण तनाव देखने को मिल रहा है। रूस का यह चीन को स्पष्ट संदेश था कि भारत के साथ तनाव के बीच रूस अपने दोस्त भारत का साथ देने से पीछे नहीं हटेगा!

कोरोना के झटके के बाद चीनी अर्थव्यवस्था दोबारा पटरी पर आती दिखाई दे रही है। चीन अमेरिका और पश्चिमी देशों में तेजी से अपने एक्सपोर्ट को बढ़ा रहा है, जिसके कारण चीन-अमेरिका का व्यापार असंतुलन तो रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गया है। साथ ही साथ, अब चीन EU के साथ एक व्यापार समझौता कर वहाँ भी अपनी पैठ बढ़ाने को लेकर आतुर है।

इतना ही नहीं, अफ़्रीका में भी चीन की ऊर्जा क्षेत्र की कंपनियाँ तेजी से निवेश कर रही हैं, ताकि चीन की भविष्य की ऊर्जा जरूरतों को पूरा किया जा सके। अपनी सप्लाई चेन को मजबूत करने के लिए चीन अपने ट्रेडिंग रूट्स का भी विकास कर रहा है।

मौजूदा हिन्द महासागर के ट्रेडिंग रूट को छोड़कर चीन अभी मध्य एशिया में अपने BRI project और Arctic में Northern Sea Route के माध्यम से यूरोप, अरब देशों और अफ़्रीका तक पहुंच बनाने की कोशिश कर रहा है, ताकि मलक्का स्ट्रेट पर से उसकी निर्भरता समाप्त हो सके। हालांकि, दुनिया की नज़रों से दूर रूस मलक्का स्ट्रेट के साथ-साथ मध्य एशिया और Arctic में चीन के लिए परेशानी खड़ी करने की रणनीति पर काम कर रहा है।