आईएलएफएसः गवर्नमेंट ने प्रारम्भ की जांच

वित्त मंत्रालय ने इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज (आईएलएफएस) में हुए 91 करोड़ रुपये से अधिक के लोन घोटाले की जांच प्रारम्भ कर दी है. सीरियस फ्रॉड इंवेस्टिगेशन कार्यालय (एसएफआईओ)  ने उस आदमी का पता लगाना प्रारम्भ कर दिया है, जिसने कंपनी को डूबो दिया.
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कंपनी के पूर्व चेयरमैन से पूछताछ

एसएफआईओ कंपनी के सभी पूर्व निदेशकों  चेयरमैन से पूछताछ करने जा रही है. जांच से जुड़े एक ऑफिसर ने बोला कि वो कंपनी के सभी खातों के साथ-साथ सहयोगी कंपनियों के खातों को भी जांच करेगी. जब तक जांच चलेगी, तब तक किसी भी ऑफिसर या फिर कर्मचारी को राष्ट्र से बाहर नहीं जाने दिया जाएगा.

भारी कर्ज में डूबी इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज (आईएलएंडएफएस) को डूबने से बचाने के लिए केंद्र गवर्नमेंट आगे आ गई है. गवर्नमेंट ने राष्ट्रीय कंपनी कानून प्राधिकरण (एनसीएलटी) में अर्जी देकर के कंपनी का प्रबंधन बदलने की मांग की है.

कुल मिलाकर गवर्नमेंट आईएलएंडएफएस के लिए वो कदम उठा सकती है जो उसने आईटी कंपनी सत्यम के लिए उठाए थे. आईएलएंडएफएस समूह की कुछ कंपनियों द्वारा किए गए डिफॉल्ट के कारण वित्तीय मार्केट में तरलता का डर पैदा हो गया है  नकदी की स्थिति बेहतर करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने कुछ कदम भी उठाए हैं.

ऑफिसर ने सोमवार को बोला कि कंपनी मामलों के मंत्रालय ने न्यायाधिकरण में याचिका दाखिल की है. आईएलएंडएफएस से जुड़े सूत्रों ने बोला कि कंपनी याचिका को योगदान कर सकती है, क्योंकि इससे सभी लंबित मुद्दों के निवारण में  सभी शेयरधारकों के फायदा के लिए व्यापक निवारण पर पहुंचने में मदद मिलेगी.

कंपनी में म्युचुअल फंडों का भी पैसा लगा है  पेंशन  प्रोविडेंड फंड का भी पैसा लगा है. आईएलएंडएफएस पुराने कर्ज चुकाने में बार-बार डिफॉल्ट हो रही है. कंपनी को अब लोन नहीं मिल सकता  ये मार्केट से पैसे जुटाने में भी नाकाम है, क्योंकि इसकी रेटिंग जंक स्टेटस में बदल चुकी है. मसला बड़ा है अगर आईएलएंडएफएस डूबी तो सबकुछ एक झटके में बर्बाद हो जायेगा.