मीरवाइज यह कह कर नहीं आए थे कि घाटी के दशा के मद्देनजर दिल्ली में उनकी सुरक्षा को खतरा है. उन्होंने श्रीनगर में रहते हुए एनआईए की जांच में योगदान का वादा किया था. बाद में एनआईए ने बोला कि वह 8 अप्रैल को दिल्ली आएं व उन्हें पूरी सुरक्षा दी जाएगी. एनआईए कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों के अतिरिक्त सुरक्षा बलों पर पत्थरबाजी, स्कूल इमारतों के जलाए जाने व सरकारी इमारतों के नुकसान पहुंचाने जैसी घटनाओं में फंडिंग करने वालों व मनी ट्रेल की जांच कर रही है.
इन मामलों में लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिदीन व जैश-ए-मोहम्मद जैसे पाक समर्थित संगठनों के नाम हैं. इसके अतिरिक्त अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी व उनसे जुड़े लोगों की भी जांच की जा रही है. जांच एजेंसी के मुताबिक, घाटी में इन गतिविधियों को अंजाम देने के लिए इन संगठनों व लोगों की मदद से सुनियोजित तरीके से पैसे पहुंचते हैं.एनआईए में पेशी से एक दिन पहले इन अलगाववादी नेताओं ने मीटिंग बुलाई व मीरवाइज को समन किए जाने का विरोध किया था. इनका मानना है कि केंद्र राजनीतिक फायदे के लिए अलगाववादी नेताओं को जानबूझकर कठघरे में खड़ा कर रहा है.