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एयर इंडिया (Air India) को पिछले वर्ष बेचने की मुहिम नाकाम होने के बाद केन्द्र सरकार इसे बेचने के लिए एक बार फिर सक्रिय हुई है। केन्द्र सरकार एयर इंडिया में अपनी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेच सकती है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट सम्बोधन में एयर इंडिया को बेचने के लिए नया प्लान लाने की बात कही थी। नीति आयोग ने कंपनी की पूरी हिस्सेदारी बेचने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन सरकार ने एक रणनीतिक निवेशक को 74 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की पेशकश की थी, जो इसके न बिकने का बड़ा कारण बताया गया था। ऐसे में अब सरकार ने कंपनी की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने का निर्णय लिया है।

एयर इंडिया से बाहर निकल सकती है सरकार

सरकार एयर इंडिया से बाहर निकल सकती है। डिपार्टमेंट ऑफ इन्वेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट (DIPAM) के सचिव अतानु चक्रवर्ती ने बताया कि अभी इसपर कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है। उनका मानना है कि सरकार को निवेशक द्वारा कंपनी में हिस्सेदारी खरीदने से कोई असहमति नहीं होगी।  

बीते साल भी सरकार एयर इंडिया को बेचना चाहती थी। लेकिन कच्चे ऑयल की कीमतों में अस्थिरता के कारण सरकार ने इसे रोक दिया था। अब सरकार इसे बेचने के लिए एक बार फिर सक्रिय हुई है। कंपनी की पूरी हिस्सेदारी बेचने का प्रस्ताव नीति आयोग ने दिया था, लेकिन सरकार ने एक रणनीतिक निवेशक को 74 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की पेशकश की थी, जो इसके न बिकने का बड़ा कारण बताया गया था।

एयर इंडिया के पास सैलरी देने का पैसा नहीं

सरकारी एयरलाइंस एयर इंडिया के हालत बुरे होते जा रहे हैं। कंपनी का वित्तीय संकट लगातार गहराता दिख रहा है। एयर इंडिया के पास अभी 2,500 करोड़ रुपये हैं, जो वेंडरों के भुगतान व कुछ महीनों की सैलरी देने में समाप्त हो जाएगा। एयर इंडिया हर महीने सैलरी पर 300 करोड़ रुपये खर्च करती है। अगर हालत ऐसे ही रहते हैं तो अक्टूबर के बाद कंपनी सैलरी भी नहीं दे पाएगी।

 एयर इंडिया पर 9,000 करोड़ का कर्ज
एयर इंडिया को इस वित्त साल में 9,000 करोड़ रुपये के लोन का भुगतान प्रारम्भ करना है, लेकिन उसकी हालत ऐसी नहीं दिख रही है। इस वर्ष कंपनी को जो लोन चुकाना था, उसमें से आधे का भुगतान वह अगले वित्त साल के लिए टालने की  प्रयास में है। कंपनी ने इस पर सरकार की मदद मांगी है। सरकार इस कंपनी में 100 प्रतिशत हिस्सेदारी व्यक्तिगतनिवेशकों को बेचने की योजना बना रही है।