अनूठे राष्ट्रीय पहचान लेटर परियोजना की आरंभ में आई थीं कई दिक्कतें

आधार कार्ड की परिकल्पना करने वाले नंदन नीलेकणि ने गुरुवार को बोला कि अनूठे राष्ट्रीय पहचान लेटर परियोजना की आरंभ में बहुत ज्यादा सारी दिक्कतें आई थीं, लेकिन अब सब कुछ सुलझ चुका है उन्होंने बोला कि आधार कोई आंकड़े जुटाने का साधन नहीं है बल्कि यह न्यूनतम आंकड़ों/सूचनाओं का इस्तेमाल कर दो प्रमुख आवश्यकताओं को पूरा करता है, जिसमें एक है बुनियादी  विशिष्ट पहचान-पत्र प्रदान करना  दूसरा यह सुनिश्चित करना है कि कल्याणकारी योजनाओं का फायदा सही आदमी तक पहुंचे

यहां विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक मीटिंग 2019 में ‘डिजिटल संसार में पहचान’ विषय पर आयोजित एक सत्र में उन्होंने यह बात कही उन्होंने कहा, ” बोला जाता है, जिसका अर्थ है नींव/बुनियाद  यह विचार 2006 में आया इसके कई कारण थे, जिनमें जॉब के लिए शहरों में जाने वाले लोग, बच्चों के जन्म का रिकॉर्ड नहीं होना  और जिनके पास बुनियादी दस्तावेज नहीं हैं ऐसे लोगों को मुख्यधारा में लाना ”

नीलेकणि ने बोला कि लेकिन जैसे ही गवर्नमेंट ने कल्याणकारी योजनाओं के लिए अधिक से अधिक धन खर्च करना प्रारम्भ किया, उसे एहसास हुआ कि बहुत सारा पैसा रास्ते में ही बर्बाद हो जा रहा है  फिर यह सोचा कि डिजिटल आईडी से फायदेमंद योजनाओं को सही लाभार्थियों तक पहुंचाने में मदद मिल सकती है