अगले आठ वर्षों में चाइना से अधिक हिन्दुस्तान में होगा ये…

इस वक्त संसार में सबसे अधिक जनसंख्या वाले राष्ट्रों में पहला जगह चाइना का है  दूसरा जगह हिंदुस्तान का. चाइना ने इसमें कमी लाने के लिए कई तरह की योजनाएं प्रारम्भ की हैं लेकिन हिंदुस्तान में इस ओर कोई कठोर कदम अभी तक नहीं उठाया गया है. हाल ही में जनसंख्या वृद्धि पर संयुक्त देश संघ की एक रिपोर्ट आई है. जिसमें हिंदुस्तान के लिए खुशखबरी नहीं है.

इस रिपोर्ट में बोला गया है कि 2050 तक वैश्विक जनसंख्या के 970 करोड़ होने की आसार है. वहीं वर्ष 2027 तक  हिंदुस्तान  के संसार के सबसे अधिक आबादी वाले देश के रूप में चाइना से आगे निकलने का अनुमान है.

संयुक्त देश के आर्थिक एवं सामाजिक मामलों के विभाग पॉपुलेशन डिविजन  ने द वर्ल्ड पॉपुलेशन प्रोस्पेक्ट 2019 हाइलाइट्स (विश्व जनसंख्या संभावना) मुख्य बिंदु प्रकाशित किया है. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि अगले 30 सालों में दुनिया की जनसंख्या दो अरब तक बढ़ने की आसार है. 2050 तक जनसंख्या के 7.7 अरब से बढ़कर 970 करोड़ तक पहुंच जाने का अनुमान है.

वैश्विक जनसंख्या में जो वृद्धि होगी उसमें आधी से अधिक वृद्धि भारत, नाइजीरिया, पाकिस्तान, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, इथियोपिया, तंजानिया, इंडोनेशिया, मिस्र अमेरिका में होने का अनुमान है. इन राष्ट्रों में हिंदुस्तान में सबसे अधिक वृद्धि होगी.

चीन में आ रही है कमी

जहां कई राष्ट्रों में जनसंख्या लगातार बढ़ रही है, वहीं चाइना जैसे कुछ राष्ट्रों में इसमें कमी आ रही है. रिपोर्ट के अनुसार 2010 के बाद से 27 देश ऐसे हैं जिनकी जनसंख्या में एक या इससे भी अधिक प्रतिशत की कमी आई है. यह गिरावट प्रजनन क्षमता के निम्न स्तर के कारण होती है.

वर्ष 2019 से 2050 तक 55 राष्ट्रों  क्षेत्रों में आबादी में एक प्रतिशत या उससे अधिक की कमी आने का अनुमान है. इनमें से 26 की जनसंख्या में 10 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है. उदाहरण के तौर पर चाइना में इस समय अवधि में जनसंख्या में 3.14 करोड़ यानी 2.2 प्रतिशत कम होने का अनुमान है. इस रिपोर्ट में बोला गया है कि कई राष्ट्रों में प्रवास भी जनसंख्या में परिवर्तन का जरूरी घटक है.

रिपोर्ट के अनुसार 2010  2020 के बीच, 14 राष्ट्रों या क्षेत्रों में दस लाख से अधिक प्रवासियों का आगमन देखा जाएगा, जबकि 10 राष्ट्रों से इतने ही लोग अन्य राष्ट्रों की ओर जाएंगे.

रिपोर्ट में बोला गया है, “बड़ी संख्या में प्रवासी कामगारों की मांग (बांग्लादेश, नेपाल  फिलीपींस) के कारण प्रवास हुआ है. इसके अतिरिक्त हिंसा, असुरक्षा  सशस्त्र लड़ाई (म्यांमार, सीरिया  वेनेजुएला) के कारण भी बड़ी संख्या में लोगों ने दूसरे राष्ट्रों की ओर प्रवास किया है.

बेलारूस, एस्टोनिया, जर्मनी, हंगरी, इटली, जापान, रूसी संघ, सर्बिया  यूक्रेन में एक दशक में प्रवासियों की बढ़ोतरी दिखेगी. जिससे इन राष्ट्रों को जनसंख्या के नुकसान की भरपाई करने में मदद मिलेगी.