
बता दें कि गृह मंत्रालय के सुरक्षाबलों की तैनाती के ऑर्डर के बाद कश्मीर में बहुत ज्यादा हलचल है। वादी में चर्चा है कि विवादित 35A को हटाने का केन्द्र ने मन बना लिया है।लोकसभा में अपने पहले संबोधन में गृह मंत्री अमित शाह ने भी इस बात पर ज़ोर दिया था कि संविधान में धारा 370 स्थायी नहीं है।
वहीं, आर्टिकल 35A को समाप्त करना केन्द्र सरकार के लिए चुनौती भरा होगा, लेकिन नरेन्द्र मोदी सरकार चुनौतियों की वजह से रुकने वाली नहीं है। ये निर्णय हिंदुस्तान के राष्ट्रीय हितों के लिए तो बेहद अहम होगा ही बीजेपी के लिए भी राजनीतिक तौर पर यह निर्णय लाभकारी होगा। :
बीते कुछ दिनों से क्षेत्रीय पार्टियों में घमासान मचा हुआ है, पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती 35A के समर्थन में एकजुट होने पर ज़ोर दे रहीं हैं। वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फ़ारूक़ व उमर अब्दुल्ला प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलकर दशा पर चिंता जाता रहे हैं। ऐसे में यह समझना होगा की 35A क्या है।
क्या है अनुच्छेद 35A?
-अनुच्छेद 35A से जम्मू और कश्मीर प्रदेश के लिए स्थायी नागरिकता के नियम व नागरिकों के अधिकार तय होते हैं।
-14 मई 1954 के पहले जो कश्मीर में बस गए थे वही स्थायी निवासी।
– स्थायी निवासियों को ही प्रदेश में जमीन खरीदने, सरकारी रोजगार हासिल करने व सरकारी योजनाओं में फायदा के लिए अधिकार मिले हैं।
-किसी दूसरे प्रदेश का निवासी जम्मू और कश्मीर में जाकर स्थायी निवासी के तौर पर न जमीन खरीद सकता है, ना प्रदेश सरकार उन्हें जॉब दे सकती है।
-अगर जम्मू और कश्मीर की कोई महिला हिंदुस्तान के किसी अन्य प्रदेश के आदमी से विवाह कर ले तो उसके अधिकार छिन जाते हैं, हालांकि पुरुषों के मुद्दे में ये नियम अलग है।
आर्टिकल 35A को लेकर एक बड़ी शिकायत ये भी है कि 1954 में इसे बिना संसद की अनुमति के सीधे राष्ट्रपति के आदेश से संविधान में जोड़ दिया गया।
दरअसल ऐसा जम्मू और कश्मीर की विशेष परिस्थितियों के कारण ऐसा किया गया। जानकार मानते हैं कि राष्ट्रपति के आदेश से इस ही इस नियम को समाप्त किया जा सकता है।कुछ जानकार यह भी मानते हैं कि किसी बड़े निर्णय से पहले सभी पक्षों को साथ लेकर चलना होगा।
अब सवाल है कि 35A को हटाने पर क्या होगा?
1. देश का कोई नागरिक प्रदेश में ज़मीन खरीद पाएगा, सरकारी जॉब कर पाएगा, उच्च एजुकेशन संस्थानों में दाखिला ले पाएगा।
2. महिला व पुरुषों के बीच अधिकारों को लेकर भेदभाव समाप्त होगा।
3. कोई भी आदमी कश्मीर में जाकर बस सकता है।
4. वेस्ट पाक के रिफ्यूजियों को वोटिंग का अधिकार मिलेगा।
लेकिन कश्मीर की राजनीतिक पार्टियों में बेचैनी इसलिए है क्योंकि इन दलों को भय है कि इससे प्रदेश की स्वायत्ता व कम हो जाएगी। अगर अन्य राज्यों के लोग यहां बसने लगे तो इस मुस्लिम बहुल प्रदेश की जनसांख्यिकी बदल जाएगी। हालांकि बीते 70 सालों में यहां ऐसा कोई परिवर्तन नहीं हुआ है, जबकि जम्मू के हिंदू बहुसंख्यकों व लद्दाख के बौद्ध लोगों को घाटी में संपत्ति खरीदने और बसने का अधिकार है।
सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती ये है कि कश्मीर में अलगाववादियों को युवाओं को भड़काने का मौका नए सिरे से मिल जाएगा। वहीं पाक पूरी प्रयास करेगा कि जम्मू औरकश्मीर के दशा बेकार हों। पाकिस्तान विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने एक बयान में बोला है कि जम्मू और कश्मीर के संवैधानिक ढांचे में परिवर्तन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।