आतंकवादियों को किसी भी तरह की मदद पहुंचाने वालो को रंगे हाथ पकड़ेगा यह ‘एंटी टेरर बिल’

राज्यसभा द्वारा पारित किया गया एंटी टेरर बिल यानी गैर-कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) संशोधन विधेयक, 2019 अब आतंकवादियों के हमदर्द बने लोगों पर बिजली बनकर टूटेगा. आतंकवादियों को किसी भी तरह की मदद पहुंचाने वाले लोग जाँच एजेंसियों के फंदे से बच नहीं सकेंगे. पूर्व आईपीएस अफसरों  सुरक्षा बलों के विभिन्न आतंकी ऑपरेशनों के एक्सपर्ट अधिकारियों ने नए ‘एंटी टेरर बिल’ को ठीक बताया है.

इनका बोलना है कि यह कानून अब उन लोगों को कानून के शिकंजे में ला देगा, जो आतंकवादियों की मदद करते हुए भी मौजूदा कानून के हल्के प्रावधानों का लाभ उठाकर बचते आ रहे थे. यह कानून लागू होने के बाद जम्मू और कश्मीर  देश के दूसरे हिस्सों में आतंकी गतिविधियों में अप्रत्यक्ष तौर पर शामिल लोगों को सबक सिखाने के लिए पर्याप्त होगा.दिल्ली के पूर्व पुलिस आयुक्त आमोद कंठ का बोलना है, बदलते वक्त  परिस्थितियों के मद्देनजर ऐसे बिल अच्छा ही होते हैं.

आतंकियों को कई स्थान से तरह-तरह की मदद मिलती है, लेकिन ऐसे लोगों तक पुलिस या दूसरी जाँच एजेंसियों नहीं पहुंच पाती हैं. कई बार देखने में आता है कि किसी जाँच एजेंसी के पास यह पुख्ता सूचना होती है कि फलां आदमी गैर-कानूनी गतिविधियों में शामिल है. इसके बावजूद उन पर हाथ डालना सम्भव नहीं होता. कानून के निर्बल प्रावधानों का लाभउठाकर वे लोग बच निकलते हैं. जम्मू और कश्मीर या देश के दूसरे ऐसे हिस्से जहां आतंकवादियों या तोड़फोड़ की गतिविधियां होती हैं, वहां पुलिस की सामान्य क्षमता कार्य नहीं आती.

पूर्व पुलिस आयुक्त बताते हैं, ऐसे कानून फोर्स की गंभीरता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण होते हैं. उन्हें इस बात का भरोसा होता है कि वे जो कुछ कर रहे हैं, उसकी अथॉरिटी उनके पास है. जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद की समस्या बहुत जटिल होती जा रही है. वहां आतंकवादी गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए एंटी टेरर बिल जैसे प्रावधानों के अतिरिक्त लोकल लोगों से भी बात करनी चाहिए.

आतंकवादियों की मदद करने वाले अब जाएंगे सलाखों के पीछे

जम्मू और कश्मीर  उत्तर-पूर्व में सीआरपीएफ के कई ऑपरेशनों की कमान संभाल चुके पूर्व आईजी वीपीएस पंवार का बोलना है, नए एंटी टेरर बिल से आतंकवादियों की कमर टूट जाएगी. एनआईए  प्रवर्तन निदेशालय की जाँच में यह बात साबित हो चुकी है कि वहां पर अलगाववादी  दूसरे कई संगठन आतंकवादियों को धन एवं अन्य तरह की मदद पहुंचाते हैं. यहां तक कि पाकिस्तानी उच्चायोग भी इस मदद की प्रक्रिया में शामिल है. जाँच एजेंसी ने पाक के आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा  जमात-उद-दावा की पोल खोल कर रख दी है.

जम्मू और कश्मीर में इस संगठन को लोकल स्तर पर मदद मिल रही है, सभी जानते हैं. पाक  दुबई से पैसा आ रहा है, अब यह किसी से छिपा नहीं है. किसी लालचवश कई विभागों के कर्मी भी आतंकवादियों के मददगारों की फेहरिस्त में शामिल हो जाते हैं. जाँच एजेंसियों को इन मददगारों पर कार्रवाई करने में कई तरह की कानूनी पेचीदगियों का सामना करना पड़ रहा था. अब नए एंटी टेरर बिल की मदद से जाँच एजेंसियां ऐसे लोगों को आतंकवादी घोषित कर उनके विरूद्ध पूर्ण अधिकारों के साथ कार्रवाई कर सकेंगी.