
चुनाव आयोग ने अपने लेटर में राष्ट्रीय मतदान दिवस 2018 की थीम पर ‘सुलभ चुनाव’ व ‘कोई वोटर वोटिंग से वंचित न रह जाए’ का आदेश सभी राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों को दिया है. ‘सुलभ चुनाव’ के लिए आयोग ने 3 व 4 अक्टूबर को नयी दिल्ली में सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ राष्ट्रीय परामर्श का आयोजन किया था. जिसके बाद आयोग ने सुलभ चुनाव पर रणनीतिक ढांचा तैयार किया.
आयोग ने सभी राज्यों से बोला कि दिव्यांगजनों को मतदान केन्द्र तक लाने के लिए सरकारी वाहनों का प्रयोग किया जाए व पिकअप के साथ ड्राप करने की भी सुविधा दी जाए. कई बार पोलिंग बूथ तक आने-जाने में दिक्कत की वजह से दिव्यांग मतदाता वोट डालने नहीं जाते लेकिन अगर उन्हें बूथ तक लाने व वापस घर पहुंचाने की व्यवस्था की जायेगी तो उनके वोट न देने की आसार कम हो जायेगी. आयोग के मुताबिक जिला निर्वाचन ऑफिसर या रिटर्निंग अधिकारी को यह जिम्मेदारी निभाने का आदेश दिया गया है. साथ ही आयोग ने इस कवायद के लिए प्रत्येक जिले में एक ट्रांसपोर्ट नोडल अधिकारी नियुक्त करने की भी सिफारिश की है.
इससे पहले 2016 के तमिलनाडु चुनाव में दिव्यांगों के लिए ऐसी व्यवस्था की गई थी. अब मप्र, छत्तीसगढ़ व राजस्थान में भी ऐसी पहल की जा रही है. वहीं राजस्थान में पहली बार नेत्रहीन मतदताओं के लिए मशीन पर ब्रेल साइनेज की व्यवस्था होगी. इससे पहले ईवीएम पर मैन्यूअल स्टीकर लगाए जाते थे. इसके अतिरिक्त मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में इस बार दिव्यांगों, बुजुर्गों, गर्भवती स्त्रियों को घर से पोलिंग बूथ तक लाने के लिए चुनाव आयोग 50 हजार विशेष वाहन की व्यवस्था करने जा रहा है. इस कार्य के लिए एक लाख दिव्यांग मित्र की भी तैनाती की जा रही है.