म्यूचुअल फंड कंपनियों ने अपने उधारी को लेकर नहीं किया ये खुलासा…

आखिरकार जी पर शिकंजा कसता दिख रहा है, क्योंकि दो ऋणदाताओं द्वारा शुक्रवार को वसूली की कार्रवाई शुरू करने के बाद भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की सदस्य माधवी पुरी बुच ने आखिरकार बिरला म्यूचुअल फंड, आईसीआईसीआई म्यूचुअल फंड, एचडीएफसी म्यूचुअल फंड व रिलायंस म्यूचुअल फंड और रेटिंग एजेंसी ब्रिकवर्क्‍स के सीईओ को इस मसले पूछताछ के लिए समन भेजा है। माना जा रहा है कि सोमवार को सेबी इस मामले में कठोर रुख अपना सकता है।

बयान को उठे सवाल

जी के चेयरमैन सुभाष चंद्रा ने 27 जनवरी को कहा कि ऋणदाताओं के साथ एक सहमति बनी थी। अगली सुबह उनके बेटे ने कहा कि 96-97 फीसदी ऋणदाताओं ने मंजूरी प्रदान की है, जिसके बाद स्टॉक की कीमत 310 रुपये से बढ़कर 380 रुपये हो गई। शुक्रवार को यह स्पष्ट हो गया कि किसी करार पर हस्ताक्षर नहीं हुए हैं। इसके बाद दो ऋणदाताओं ने वसूली की कार्रवाई करते हुए शेयरों की बिक्री की जिससे साबित होता है कि 27 और 28 जनवरी को दिए गए बयान स्पष्ट रूप से गुमराह करने वाला था। वहीं ऋणदाताओं के साथ कथित समाधान के दावों के संबंध में सार्वजनिक रूप से की गई घोषणा की सत्यता की जांच को लेकर स्टॉक एक्सचेंजों ने पूरे सप्ताह कोई प्रयास नहीं किया।

रेटिंग एजेंसी पर भी उठे सवाल

वहीं सिक्योरिटी कवर में गिरावट के बावजूद रेटिंग एजेंसी ब्रिकवर्क्‍स ने सिक्योरिटीज को डाउनग्रेड नहीं किया और ऋणदाताओं के साथ कथित समाधान के दावों के संबंध में सार्वजनिक रूप से की गई घोषणा की सत्यता की जांच की दिशा में कोई कोशिश नहीं की और आखिरकार शुक्रवार को भी सिर्फ कथित समाधान की बात कही। जबकि रेटिंग एजेंसी के पास लेनदार से पूरा ब्योरा मांगने का अधिकार है।

म्युचुअल फंड कंपनियों ने नहीं किया खुलासा

म्यूचुअल फंडों कंपनियों ने अपने उधारी को लेकर अपने निवेशकों से अनुबंध के भंग होने का खुलासा नहीं किया और अपने निदेशक मंडल/न्यासियों की मंजूरी के बगैर निजी समाधान के लिए बातचीत के जरिए मसले को ठीक करने की कोशिश की। म्यूचुअल फंड कंपनियों ने किसी करार पर हस्ताक्षर नहीं होने की पूरी जानकारी के बावजूद प्रमोटरों द्वारा समाधान के सावर्जनिक रूप से झूठे दावों को खारिज भी नहीं किया।

कितना है कर्ज?

मीडिया में सामने आई जानकारी के अनुसार जी समूह की कंपनियों पर म्यूचुअल फंड और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों का करीब 12,000 करोड़ रुपये का कर्ज है, जिसमें 7,000 करोड़ रुपये एमएफ कर्ज और 5,000 करोड़ रुपये एनबीएफसीज का कर्ज है। बताया जा रहा है कि एमएफ कर्ज जोखिम पूरी तरह से जी के प्रमोटर के स्तर पर है। इसमें से बिरला एएफ से 2,900 करोड़ रुपये, एचडीएफसी से 1,000 करोड़ रुपये और आईसीआईसीआई प्रुडेंशियल से 750 करोड़ रुपये का कर्ज लिया गया है, जिसके फंसने का डर है। वहीं, एनबीएफसी के मोर्चे पर माना जा रहा है कि एचडीएफसी लि. और एलएंडटी फाइनैंस का कर्ज फंस सकता है।