मद्रास हाईकोर्ट ने लगाई दवाओं की ऑनलाइन बिक्री पर रोक

मद्रास हाईकोर्ट ने बुधवार को केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय और ड्रग्‍स एंड कॉस्‍मेटिक एक्‍ट, 1940 के तहत सक्षम प्राधिकरणों को तत्‍काल ऐसी दवाओं की ऑनलाइन बिक्री पर रोक लगाने का निर्देश दिया है, जिन्‍हें केवल रजिस्‍टर्ड डॉक्‍टर्स की सलाह पर मेडिकल स्‍टोर पर बेचा जाता है।Related image

तमिलनाडु केमिस्‍ट एंड ड्रगिस्‍ट एसोसिएशन की याचिका पर न्‍यायाधीश आर महादेवन ने यह अंतरिम आदेश पारित किया। एसोसिएशन ने अपनी मुख्‍य याचिका में उन वेबसाइट पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है, जो दवाओं की ऑनलाइन बिक्री कर रही हैं। याचिका में यह प्रतिबंध तब तक लगाने की मांग की गई है, जब‍ि तक केंद्र सरकार इस तरह की बिक्री को अनुमति देने के लिए कानूनी ढांचा लागू नहीं करती है।

वरिष्‍ठ वकील एआर एल सुंदरेसन ने कहा कि यह एक गंभीर चिंता का विषय था कि 1940 अधिनियम की अनुसूची एच, एच1 और एक्‍स में सूचीबद्ध दवाओं की ऑनलाइन बिक्री देशभर में हो रही थी, हालांकि डॉक्‍टर के पर्चे के बिना ऐसी दवाओं को बेचने पर कानूनी प्रतिबंध है।

न्‍यायाधीश ने इस पर चिंता जताई और कहा कि इसे अनुमति नहीं दी जा सकती। हजारों मासूम लोग केवल इसलिए ऑनलाइन दवाएं खरीदते हैं, क्‍योंकि वे सस्‍ती कीमत और डिस्‍काउंट का लालच देती हैं, जिससे नुकसानदायक उत्‍पादों का चलन बढ़ने का जोखिम है। न्‍यायाधीश ने पूछा कि यदि स्‍टेरॉयड्स को बिना पर्चे के बिक्री की अनुमति दी जाए तो क्‍या होगा? यह अदालत इस मुद्दे पर विस्‍तार से गौर करेगी।

याचिका में कहा गया है कि ड्रग्‍स एंड कॉस्‍मेटिक एक्‍ट को ऑनलाइन व्‍यापार के आगमन से काफी पहले औपनिवेशक युग के दौरान लागू किया गया था। हालांकि पिछले 78 सालों में कानून में कई संशोधन किए गए हैं, लेकिन इनमें अब तक दवाओं की ऑनलाइन बिक्री की अनुमति देने का कोई भी प्रावधान नहीं किया गया है।

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