कर्नाटक में हुए उपचुनाव के लिए मंगलवार को वोटों की गिनती हुई। सबसे पहले बेल्लारी लोकसभा सीट के नतीजे सामने आए। यहां कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी वीएस उगरप्पा (VS Ugrappa) ने जीत दर्ज कर ली है। उन्होंने भाजपा के जे संथा (J Shantha) को करीब पौने दो लाख वोटों से करारी शिकस्त दी है। इससे पहले इस सीट पर भाजपा नेता बी श्रीरामलु 2014 में चुनाव जीते थे, लेकिन विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने चित्रदुर्ग से चुनाव लड़ा था, जिसके चलते उन्हें सांसदी छोड़नी पड़ी थी। श्रीरामलु को खनन किंग रेड्डी बंधुओं का बहुत ज्यादा करीबी माना जाता है।
बेल्लारी लोकसभा सीट कांग्रेस पार्टी के लिए बेहद सेफ मानी जाती है। कांग्रेस पार्टी की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी ने अपनी राजनीतिक पारी की आरंभ यहीं से प्रारम्भ की थी। सोनिया 1999 में अपना पहला लोकसभा चुनाव यहीं से लड़ी थीं। उन्होंने भाजपा सुषमा स्वराज को करारी शिकस्त दी थी।
बेल्लारी लोकसभा सीट पर कांग्रेस पार्टी 14 बार विजयी हो चकी है। इस बार यह 15वीं जीत है। खनिज के लिए प्रसिद्ध बेल्लारी का एरिया बेल्लारी बंधुओं की वजह से भी सुर्खियों में रहा है। बेल्लारी बंधुओं में तीन भाई हैं। गली सोमशेखर रेड्डी, उनसे बड़े गली जनार्दन रेड्डी व सबसे बड़े गली करुणाकर रेड्डी। येदियुरप्पा की बीजेपी गवर्नमेंट में जनार्दन रेड्डी पर्यटन मंत्री रह चुके हैं, जी करुणाकर वित्त मंत्री रह चुके हैं व जी सोमशेखर ने सादी विधायक रह चुके हैं।
इन भाइयों के पिता कभी आंध्रप्रदेश पुलिस में कॉन्स्टेबल थे (बेल्लारी आंध्र से लगा हुआ है)। तीनों का बचपन तंगी में बीता है। बड़े हुए, तो भाइयों ने एक चिटफंड कंपनी प्रारम्भ की, लेकिन वह ज्यादा नहीं चली। इन्होंने लौह अयस्क (आयरन ओर) की खदानें प्रारम्भ कीं, तब से ये लगातार सुर्खियों में रहे।
बेल्लारी में सुंदुरु रेंज नाम से पहाड़ों की एक श्रृंखला है। यहां के कई पहाड़ लौह अयस्क के बने हैं। बेशकीमती मिट्टी, जिसे पिघलाकर लोहा बनता है। अब लौह अयस्क बेल्लारी वआंध्रप्रदेश के ओबुलपुरम – दोनों जिलों में मिलता है। रेड्डी बंधु खनन का सारा कारोबार 2002 में प्रारम्भ की OMC के ज़रिए करते थे, माने ओबुलपुरम माइनिंग कंपनी। ओबुलपुरम आंध्रप्रदेश में है। लेकिन इसका हेडक्वार्टर बेल्लारी में है।