गिरावट का दौर जारी है। मंगलवार को मार्केट बंद रहने के बाद बुधवार को रुपया इतिहास के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। का भाव अब 73.35 पर पहुंच गया है।यह रुपये का अबतक का सबसे निचला स्तर है, यानी रुपया पहली बार 73 पार गया है। रुपये में इस गिरावट की मुख्य वजह कच्चे ऑयल की बढ़ती मूल्य को माना जा रहा है। कच्चे ऑयल की मूल्य बढ़ने के पीछे ईरान पर अमेरिका द्वारा लगाए जाने वाले प्रतिबंध हैं, जो लागू होने वाले हैं। लेकिन, रुपये की गिरावट सिर्फ कारोबार या इकोनॉमी के लिहाज से ही खतरनाक नहीं है। बल्कि रुपया है। आइये जानते हैं कैसे
सबसे बेकार प्रदर्शन वाली करेंसी
पिछले कुछ दिनों से बना रहा है। एशिया में रुपया सबसे बेकार प्रदर्शन करने वाली करंसी बन चुका है। बता दें कि गिरते रुपये का प्रभाव इंडियन शेयर मार्केट पर भी दिख रहा है। बुधवार को दिन की आरंभ में सेंसेक्स करीब 200 अंक नीचे गिरकर 36300 पर पहुंच गया। वहीं, निफ्टी 61 अंकों की गिरावट के साथ 10943 पर रहा।
एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट
इतिहास में स्तर पर है। इस वर्ष रुपया अबतक 12 प्रतिशत से ज्यादा टूट चुका है। एक्सपर्ट्स के अनुसार, तेल इम्पोर्टर्स व विदेशी बैंकों की तरफ से सरकारी बैंकों द्वारा बिक्री से रुपया गिर गया।
रुपया व होगा कमजोर
नोमुरा के मुताबिक, अगले कुछ हफ्तों में रुपया डॉलर के मुकाबले निर्बल होकर 75 का स्तर छू सकता है, जिससे क्रूड खरीदना व महंगा होगा। डॉलर की बढ़ती डिमांड, राजनीतिक अनिश्चितता व यूएस फेड द्वारा दरें बढ़ाए जाने के इशारा से रुपए में व कमजोरी आ सकती है।
आपकी जेब पर पड़ेगा असर
1. पेट्रोल-डीजल हो सकता है महंगा
डॉलर के मुकाबले रुपए के 73 के स्तर पार पहुंचने का प्रभाव क्रूड के इंपोर्ट पर पड़ेगा। इंपोर्ट्स को ऑयल की ज्यादा मूल्य चुकानी होगी। इसकी वजह से ऑयल कंपनियां प्रतिदिन होने वाली पेट्रोल-डीजल की कीमतों में हो सकता है। हिंदुस्तान अपनी आवश्यकता का 80 प्रतिशत से ज्यादा क्रूड आयात करता है। ऐसे में डॉलर की कीमतें बढ़ने से इनके इंपोर्ट के लिए ज्यादा मूल्य चुकानी होगी। इंपोर्ट महंगा होगा तो तेल मार्केटिंग कंपनियां पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ा सकती हैं।
2. बढ़ सकती है महंगाई
राष्ट्र में खाने-पीने की चीजों व दूसरे महत्वपूर्ण सामानों के ट्रांसपोर्टेशन के लिए डीजल का प्रयोग होता है। ऐसे में डीजल महंगा होते ही इन सारी महत्वपूर्ण चीजों के दाम बढ़ेगा। वहीं, एडिबल तेल भी महंगे होगे।
3. आवश्यकता की होगी महंगाई
अगर पेट्रोलियम उत्पाद महंगे हुए तो पेट्रोल-डीजल के साथ-साथ साबुन, शैंपू, पेंट इंडस्ट्री की लागत बढ़ेगी, जिससे इन प्रोडक्ट्स के दाम बढ़ने की आसार है।
4. ऑटो की बढ़ेंगी कीमतें
ऑटो इंडस्ट्री की लागत बढ़ेगी, साथ ही डीजल की कीमतों में बढ़ोत्तरी से माल ढुलाई का खर्च भी बढ़ने का भय रहता है। रुपए में गिरावट बनी रही तो कार कंपनियां आगे कीमतें बढ़ाने पर विचार कर सकती हैं।
किसे होगा सबसे ज्यादा फायदा
रुपए के मुकाबले डॉलर के मजबूत होने का सबसे ज्यादा लाभ आईटी, फॉर्मा के साथ ऑटोमोबाइल सेक्टर को होगा। इन सेक्टर से जुड़ी कंपनियों की ज्यादा कमाई एक्सपोर्ट बेस है।ऐसे में डॉलर की मजबूती से टीसीएस, इंफोसिस, विप्रो जैसी आईटी कंपनियों के साथ यूएस बाजार में कारोबार करने वाली फार्मा कंपनियों को होगा। इसके अतिरिक्त ओएनजीसी, रिलायंस इंडस्ट्रीज, तेल इंडिया लिमिटेड जैसे गैस प्रोड्यूसर्स को डॉलर में तेजी का लाभ मिलेगा क्योंकि ये कंपनियां डॉलर में फ्यूल बेचती हैं।