
अंतर्राष्ट्रीय मार्केट में मंगलवार की शाम ब्रेंट क्रूड का भाव 76.04 डॉलर पर था, जबकि इसी महीने की शुरूआत में यह 86 डॉलर प्रति बैरल पर था. सरकारी ऑयल कंपनी भारतीय तेलके एक अवकाश प्राप्त वरिष्ठ ऑफिसर के मुताबिक आमतौर पर कच्चे ऑयल के दाम यदि प्रति बैरल एक डॉलर ऊपर नीचे होते हैं, तो घरेलू मार्केट में भी प्रति लीटर पेट्रोल-डीजल के दाम में इतना ही प्रभाव दिखता है.
इसलिए जब कच्चे ऑयल की मूल्य में इतनी कमी हुई है, तो पेट्रो ईंधनों के खुदरा दाम में भी इतनी कमी की गुंजाइश तो बनती ही है. लेकिन इस पर निर्णय लेने से पहले कुछ व तथ्यों को भी ध्यान में रखना पड़ता है.
अक्तूबर में ही घटे थे कर
बीते चार अक्टूबर को केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पेट्रोल व डीजल पर लगने वाले केंद्रीय उत्पाद शुल्क में डेढ़ रुपये प्रति लीटर व ऑयल कंपनियों द्वारा दाम में प्रति लीटर एक रुपया कटौती के निर्णय की जानकारी दी थी. उस समय अंतर्राष्ट्रीय मार्केट में ब्रेंट क्रूड का भाव 86 डॉलर प्रति बैरल के करीब था.
मंगलवार को इसी किस्म के कच्चे ऑयल का दाम घट कर 76 डॉलर प्रति बैरल के करीब आ गया था. यही नहीं, डॉलर के मुकाबले रुपया भी थोड़ा मजबूत हुआ है. वित्त मंत्री ने जब केंद्रीय उत्पाद शुल्क कम किया था, तब बीजेपी की गवर्नमेंट वाले कई राज्यों ने भी वैट या बिक्री कर में ढाई रुपये प्रति लीटर तक की कटौती की थी. तब से दाम में कुछ बढ़ोतरी के बाद लगातार तेरह दिन से गिरावट आ रही है.