
सूत्र से मिली जानकारी के मुताबिक इनफ्लाइट केटरर्स फ्लाइट में वस्तु लोड करते हैं. जिसके बाद कैबिन क्रू उन्हें प्लेट में परोस प्रीमियम यात्रियों को देता है. कई बार ऐसा होता है कि जो वस्तु एयरलाइंस देती है वह यात्रियों को पसंद नहीं होती व वह उसे लेने से मना कर देेते हैं. इसलिए वस्तु को मेन्यू से तो समाप्त नहीं किया जाएगा लेकिन इसकी मात्रा जरूर कम कर दी जाएगी. माना जा रहा है कि इससे सालाना 2.5 करोड़ रुपये की बचत होगी.
इसके अतिरिक्त एयरलाइंस लागत कम करने के लिए व भी कई तरह के कोशिश कर रही है. जैसे एयर इंडिया का ईंधन में सालाना खर्च 8,500 करोड़ आता है. जो अक्तूबर के अभूतपूर्व 7.3 जेट ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी के बाद 65 करोड़ रुपये तक बढ़ गया है. अब इस लागत को कम करने के लिए उड़ान की गति को कम कर दिया जाएगा. जो पश्चिम से पूर्व की ओर धीमी गति में उड़ेंगी. जैसे लंदन से दिल्ली की उड़ान.
वहीं सर्दियों के समय में विमान का देरी से उड़ना कोई नयी बात नहीं है. साथ ही 14 घंटे के सफर के बाद न्यूयॉर्क से दिल्ली आने वाले विमान में गति कम कर ईंधन तो बचेगा ही साथ ही विमान भी समय पर पहुंचेगा. विमान को हलका करने के लिए उसमें पीने योग्य पानी 50-75 प्रतिशत होगा. क्योंकि बहुत कम लोग ऐसे हैं जो क्रू से पीने के लिए पानी मांगते हैं. अधिकांशलोग बोतल वाला पाना ही पीते हैं. वहीं अंतर्राष्ट्रीय उड़ान के दौरान कैबिन क्रू को भी 23 किलो के दो बैग ले जाने की अनुमति है. अब एयरलाइंस ने इसे भी कम करने का विचार किया है.