वहीं व्यापारियों के संगठन कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) की ओर से ई कॉमर्स कंपनियों की इस नीति का लम्बे समय से विरोध किया जा रहा है। वहीं व्यापारिक संगठन ने गवर्नमेंट से जल्द से जल्द ई कॉमर्स रेगुलेट्री पॉलिसी लाने के साथ ही Anti Predatory Pricing Act लाने की भी मांग की है। व्यापारियों की इस मांग को ध्यान में रखते हुए कॉर्पोरेट अफेयर्स मंत्रालय ने 10 सदस्यों का एक पैनल तैयार किया है जो ई कॉमर्स कंपनियों की ओर से दी जाने वाली भारी छूट और औनलाइन रिटेलिंग पर एक रिपोर्ट तैयार करेगा।
नीयमों का उल्लंघन कर रही हैं ई कॉमर्स कंपनियां
संगठन कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने बताया कि लगभग सभी ई कॉमर्स कंपनियों में एफडीआई का पैसा लगा हुआ है। और
एफडीआई पॉलिसी 2016 के नियमों के तहत ऐसी कंपनियां सीधे उपभोक्ता को माल नहीं बेच सकती हैं। ये कंपनियां सिर्फ थोक में माल बेच सकती हैं। लेकिन राष्ट्र में लगभग सभी ई कॉमर्स कंपनियां नियमों का उल्लंघन करते हुए आम उपभोक्ताओं को माल बेच रही हैं। वहीं इन कंपनियों की ओर से दी जाने वाली छूट के बाद उत्पाद की मूल्य उत्पादन लागत से भी कम रह जाती है। ऐसे में राष्ट्र के खुदरा मार्केट पर प्रभाव पड़ रहा है। कई छोटे व्यापारियों के लिए कार्य करना कठिन हो गया है।
व्यापारियों ने बुलाई आपात बैठक
त्योहारों पर ई कॉमर्स कंपनियों की ओर से दी जाने वाली बंपर छूट को ध्यान में रखते हुए संगठन कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) की ओर से 12 अक्टूबर को दिल्ली में राष्ट्रभर के व्यापारियों की एक आपात मीटिंग बुलाई है। इस मीटिंग में ई कॉमर्स कंपनियों की नीतियों पर चर्चा कर इस विषय में गवर्नमेंट को एक जल्द से जल्द ई कॉमर्स कंपनियों के लिए पॉलिसी बनाने के साथ ही Anti Predatory Pricing Act लाने की मांग की जाएगी।