पूरी संसार में इस समय जल संकट को लेकर बहस चल रही है। ऐसे समय में पीएम नरेंद्र मोदी की पहल पर देश भर में जल संचय की मुहिम प्रारम्भ हो गई है।
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल सरकार की अध्यक्षता में दिल्ली सरकार की कैबिनेट मीटिंग में मंगलवार को यमुना फ्लड प्लेन में जल संचय की महत्वाकांक्षी परियोजना को मंजूरी दे दी। वर्तमान मानसून मौसम से पहले पायलट प्रोजेक्ट को पूरा करने की प्रयास की जा रही है। इसका नतीजा देखने के बाद इसे बड़े स्तर पर आगे बढ़ाया जाएगा।
केंद्र सरकार को दी प्रोजेक्ट की जानकारी
हाल ही में पीएम नरेंद्र मोदी से हुई मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस योजना की जानकारी दी थी। उसके बाद इस सिलसिले में उन्होंने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से भी मुलाकात की थी।
आपकी जानकारी के लिए बताते चलें कि दिल्ली में बरसात के दौरान बहुत ज्यादा पानी आता है, लेकिन जल संचय के अभाव में वो सारा पानी बह कर बेकार हो जाता है। इस पानी को बचाने के लिए दिल्ली सरकार बहुत ज्यादा समय से योजना पर कार्य कर रही थी। यमुना के फ्लड प्लेन में पानी का संचय कर ग्राउंड वाटर रिचार्ज के बारे में कंसल्टेंट्स व आईआईटी से रिपोर्ट तैयार करवाई गई थी, जिसमें पता चला था कि इस प्रोजेक्ट में बहुत ज्यादा संभावनाएं हैं। यमुना का फ्लड प्लेन बहुत ज्यादा बड़ा है।
पायलट प्रोजेक्ट के तहत होगी शुरुआत
सीएम अरविंद केजरीवाल के मुताबिक वैसे छोटे स्तर पर इस परियोजना के पायलट प्रोजेक्ट को प्रारम्भ किया जाएगा। इसके तहत पल्ला से वजीराबाद तक के स्ट्रेच में यमुना के किनारे में छोटे-छोटे तालाब बनाए जायेंगे। ये पूरी तरह से इको-फ्रेंडली होंगे व इसमें सीमेंट का किसी तरह का स्ट्रक्चर नहीं होगा। बरसात के दिनों में जब यमुना ओवर फ्लो करेगी, तो अलावा पानी इन तालाबों की ओर जायेगा। कुछ देर ठहरने पर पानी अपने आप नीचे की व परकुलेट होता जाएगा, क्योंकि बहता हुआ पानी नीचे परकुलेट नहीं हो सकता। इस पहल से अगले दो वर्ष में दिल्ली में 15-20 फीसदी पानी बढ़ सकता है।
फ़िलहाल दिल्ली सरकार किसानों की जमीन किराए पर लेकर इस पायलट प्रोजेक्ट की आरंभ करेगी। किराया तय करने के लिए पांच अफसरों की कमेटी बनाई गई है, जो एक सप्ताहमें अपनी रिपोर्ट देगी। बेहतर नतीजे आने पर इसे मानसून के बाद बड़े पैमाने पर प्रारम्भ किया जाएगा। इस योजना के लिए दिल्ली सरकार को केन्द्र से भी कुछ मंजूरी चाहिए। जबकि दिल्ली सरकार को उम्मीद है कि जल्द ही केन्द्र से मंजूरी मिल जाएगी।