अयोध्‍या: राम मंदिर के चारों ओर बनेंगे ये, जानकर चौक जाएगे आप

रामजन्मभूमि पर निर्माणाधीन राम मंदिर को राष्ट्र मंदिर का स्वरूप देने की योजना पर मंगलवार को मुहर लग गई। रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने राम मंदिर को सर्वसमाज की श्रद्धा का केंद्र बनाने के लिए रामलला के विग्रह की प्रतिष्ठा के साथ रामत्व की प्रतिष्ठा का निर्णय किया है। इसी शृंखला में रामजन्मभूमि के चारों ओर छह एकड़ में प्रस्तावित परकोटे के परिपथ में छह मंदिरों के निर्माण का भी निर्णय लिया है।

रामजन्मभूमि के उत्तर में पहले से सीता रसोई का स्थान था। इसके कारण राम मंदिर के उत्तर दिशा में माता सीता का ही मंदिर बनाने का प्रस्ताव किया गया है।

इसी तरह अयोध्या में गणपति का कोई मंदिर न होने के कारण ईशान कोण में गणपति का भी मंदिर बनाया जाएगा। ट्रस्ट महासचिव चंपत राय ने बैठक के निष्कर्ष के बारे में बताया कि रामकथा के आदिकवि महर्षि वाल्मीकि व भगवान राम के उदात्त चरित्र को उदघाटित करने वाली रामभक्त देवी शबरी का भी इस परिसर में मंदिर बनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि इसके अलावा निषादराज और गिद्धराज जटायु का भी मंदिर परिसर में बनेगा।

रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव ने बताया कि राम मंदिर में रामलला के विग्रह का स्वरूप क्या हो, इसको लेकर संतों से परामर्श करने का भी निर्णय लिया गया है। इसके लिए कमेटी बनाई गई है। यह भी बताया गया कि 70 सालों से पूजित रामलला के विग्रह राम मंदिर में उत्सव मूर्ति के रूप में विराजित रहेंगे।

राम मंदिर निर्माण में लगने वाले बंशीपहाड़पुर के पिंक सैंड स्टोन की वैधानिक रीति से खरीद- फरोख्त का रास्ता खुल गया। इस रास्ते के कानूनी अवरोध को राजस्थान सरकार ने दूर कर दिया है। कानूनी अड़चन दूर होने के बाद ही अप्रैल माह में रामजन्मभूमि ट्रस्ट महासचिव चंपत राय राजस्थान गये थे और उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से भेंटकर उनका आभार ज्ञापित किया। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की बैठक में सभी ट्रस्टियों को उन्होंने इसकी जानकारी दी। इसके बाद ट्रस्ट की ओर से राजस्थान सरकार की पहल का स्वागत किया गया।