नेपाल के प्रधानमंत्री ओली अब करने जा रहें ये… सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी में अब तो…

ओली का ये सख्त रुख इसके बावजूद कायम है कि पार्टी के ज्यादातर वरिष्ठ नेता इस विवाद में पुष्प कमल दहल के साथ हो गए हैं। दहल के घर पर हुई बैठक में माधव कुमार नेपाल, झला नाथ खनाल, बामदेव गौतम और नारायण काजी श्रेष्ठ भी मौजूद थे। माधव नेपाल नेपाल महीने पहले तक ओली के साथ थे, लेकिन अब उनके विरोधी हो गए हैं। ये सभी नेता सचिवालय की बैठक तुरंत बुलाने के पक्षधर हैं। लेकिन नेपाली मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक प्रधानमंत्री ओली छह सदस्यों वाली टास्क फोर्स को फिर से जिंदा करना चाहते हैं। ओली ने सोमवार को टास्क फोर्स के सदस्यों के साथ बैठक की।

पार्टी महासचिव विष्णु पौडेल ने फिर इसकी बैठक बुलाई है। लेकिन ऐसी खबरें हैं कि अब दहल और माधव नेपाल समर्थक नेता इसमें भाग नहीं लेंगे। विष्णु पौडेल ओली गुट के माने जाते हैं। टास्क फोर्स में ओली समर्थक शंकर पोखरेल और विष्णु शर्मा शामिल हैं। माधव नेपाल के समर्थक सुरेंद्र पांडेय व भीम रावल और दहल गुट के पम्फा भूसाल और जनार्दन शर्मा भी इसके सदस्य हैं। नेपाल और दहल समर्थकों ने आगे टास्क फोर्स की बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया है। ये दोनों गुट इसके बदले सचिवालय की बैठक चाहते हैं, जिसमें नौ सदस्य हैं।

अब चूंकि माधव नेपाल ने दहल से हाथ मिला लिया है, इसलिए सचिवालय में दहल गुट का बहुमत है। जानकारों का कहना है कि ओली चूंकि अल्पमत में हैं, इसलिए वे सचिवालय की बैठक लगातार टाल रहे हैं। लेकिन इसको लेकर उनका दहल के साथ टकराव बढ़ रहा है। दहल भी अब ज्यादा झुकने के मूड में नहीं दिखते। नेपाली मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक अगर ओली अपने रुख पर अड़े रहते हैं, तो दहल-नेपाल गुट खुद सचिवालय की बैठक बुला लेगा। लेकिन ये कदम पार्टी को विभाजन की ओर ले जाएगा। ऐसी चर्चा थी कि दहल गुट बुधवार को ही ये बैठक बुलाने वाला था, मगर ओली सरकारी काम बता कर काठमांडू से बाहर चले गए।

नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टियों में टूट-फूट का लंबा इतिहास है। सूत्रों का कहना है कि पहले के कई मौकों की तरह इस बार भी पार्टी में विवाद का कारण बड़े नेताओं का अहंकार है। वे चालें तो चल रहे हैं, लेकिन विवाद का हल ढूंढने से बच रहे हैं। मंगलवार को ओली ने लुंबिनी प्रांत के मुख्यमंत्री शंकर पोखरेल को दहल से बातचीत के लिए भेजा था। बताया जाता है कि पोखरेल ने दहल को ये संदेश दिया कि प्रधानमंत्री पार्टी के सभी फैसलों को लागू करने पर राजी हैं। लेकिन दहल ने कहा कि वे सचिवालय की बैठक चाहते हैं, ताकि सभी मुद्दों का एक साथ हल निकाला जा सके। दहल गुट का कहना है कि ओली एक बैठक में एक मुद्दे पर बात कर बाकी मसलों को टाल देते हैं। लेकिन अब दहल इसके लिए तैयार नहीं हैं, चाहे बात जितनी बिगड़ जाए।