कोरोना को ख़त्म करने के लिए डब्ल्यूएचओ ने शुरू किया ये , जान ले हर देश के लोग

इस महामारी का उत्पत्ति स्थल चीन का वुहान शहर था. उस वक्त चीन द्वारा समय पर इसकी जानकारी न देने का आरोप लगा था. चीन पर अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक के बाद एक कई सनसनीखेज आरोप लगाए थे.

चीन पर पूरी दुनिया में वायरस फैलाने का भी आरोप लगा था. अप्रैल 2020 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन को आगाह किया था कि अगर यह पाया गया कि वह कोरोना वायरस वैश्विक महामारी को फैलाने का ‘जिम्मेदार’ है और उसे इसके बारे में जानकारी थी तो उसे इसके नतीजे भुगतने होंगे.

इसके छह हफ्ते बाद 11 मार्च को डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने कोविड-19 को ‘महामारी’ घोषित किया. विशेषज्ञों के मुताबिक, तब तक बहुत देर हो चुकी थी और वायरस अंटार्कटिका को छोड़ दुनिया के सभी महाद्वीपों में पहुंच चुका था.

संगठन ने इस दौरान कई गलत कदम भी उठाए और महीनों तक लोगों को मास्क लगाने के खिलाफ सलाह दी तथा यह भी कहा कि कोविड-19 हवा से नहीं फैलता है.

मगर साल भर बीतने के बाद भी संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी कोविड-19 को नियंत्रित करने के लिए संघर्ष कर रही है और देशों को अपनी राष्ट्रवादी प्रवृत्ति छोड़ने और उन देशों को टीके की आपूर्ति करने के लिए समझा रही है, जहां इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है.

कोविड-19 को लेकर डब्ल्यूएचओ ने सबसे पहले चेतावनी 30 जनवरी, 2020 को दी थी और कोरोना वायरस को अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य आपात स्थिति बताया था.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने आज से ठीक एक साल पहले (11 मार्च) कोरोना वायरस को महामारी घोषित किया था. इससे पहले संगठन हफ्तों तक ‘महामारी’ शब्द के इस्तेमाल से बचता रहा और कहता रहा था कि बेहद संक्रामक वायरस को फैलने से रोका जा सकता है.