देवी-देवता की पूजा करते समय ध्यान रखे ये बात, मूर्ति के समक्ष चढ़ाए…

जबकि यह अनुचित है। यह तर्क देना कि ‘देवी-देवता तो भाव के भूखे होते हैं, प्रसाद के नहीं’, उचित नहीं है। आजकल मनमानी पूजा और मनमाने त्योहार भी बहुत प्रचलन में आ गए हैं।

 

प्राचीन उत्सवों (Ancient festivals) को फिल्मी लुक दे दिया गया है। गरबों में डिस्को डांडिया (Disco dandia) होने लगा है, जो कि धर्म-विरुद्ध कर्म है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि किस देवी-देवता को कौन सा प्रसाद चढ़ाएं जिससे वे प्रसन्न होंगे .

पूजा-पाठ या आरती के बाद तुलसीकृत जलामृत और पंचामृत के बाद बांटे जाने वाले पदार्थ को ‘प्रसाद’ कहते हैं। पूजा के समय जब कोई खाद्य सामग्री देवी-देवताओं (God-Goddess) के समक्ष प्रस्तुत की जाती है .

तो वह सामग्री प्रसाद (Prasad) के रूप में वितरण होती है। इसे ‘नैवेद्य’ भी कहते हैं। हिन्दू धर्म में मंदिर में या किसी देवी या देवता की मूर्ति के समक्ष प्रसाद चढ़ाने की प्राचीनकाल से ही परंपरा रही है। आजकल लोग कुछ भी लेकर आ जाते हैं और देवी-देवता को चढ़ा देते हैं.