जाने कब है नागपंचमी और क्या है पूजा विधि,पूजन में इस पीली चीज़ का अवश्य करें प्रयोग

उज्जैन के पंडित मनीष शर्मा के अनुसार सपेरे द्वारा पकडे़ गए नाग की नहीं करनी चाहिए। नाग का पूजन सदैव नाग मंदिर में ही करना चाहिए। सपेरे नाग को पकड़कर उनके दांतों को तोड़ देते हैं। जिससे वह शिकार करने लायक नहीं रहता तथा बाद में भूख से मर जाता है। जिसका समस्त पाप पूजन करने वाले को लगता है। इस भ्रम में नहीं आए की नाग दूध पीता है। नाग शाकाहारी प्राणी नहीं है, वह दूध नहीं पीता। दूध पीने से जहर उसके शरीर मे ही जा सकता हे। जिससे वह स्वयं भी मर सकता है।

नाग के पूजन में हल्दी का प्रयोग अवश्य करें हल्दी, धूप, दीप अगरबत्ती से नाग का पूजन करे एवं देवताओं के समान ही मिष्ठान्न भोग प्रतीक रूप से लगाएं एवं नारियल अर्पण करें। कई लोग इस दिन कालसर्प का पूजन करते है एवं नाग का दहनादि क्रिया करते हैं। इस तरह की बातों में नहीं आएं। यह आवश्यक नहीं है की कालसर्प का पूजन नाग पंचमी को ही किया जाए। जन्म कुंडली में एक दोष होता है जिसे सर्पदोष कहते हैं। इससे सांप का कोई लेना-देना नहीं है। उसको किसी प्रकार से प्रताड़ित नहीं करें एवं जीवित सांप का पूजन किसी भी हालत में नहीं करें। न ही उसकी दहन क्रिया करें। यह पाप को बढ़ाने वाली होगी। कालसर्प एक राहु-केतु जनित दोष है। राहु का मुख सर्प समान होने से इसको सर्प दोष कहते हैं।

आर्द्रा नक्षत्र, अश्लेषा, मघा, भरणी, कृत्तिका, विशाखा, पूर्वा फाल्गुनी, पूर्वाभाद्रपद, पूर्वाषाढ़ा, मूल, स्वाती शतभीषा के अलावा अष्टमी, दशमी, चतुर्दशी अमावस्य तिथियों को भी सांप का काटना ठीक नहीं माना जाता। गरूड़ पुराण के अनुसार सांप के काटे से हुई मृत्यु ठीक नहीं मानी जाती। अघोगति की प्राप्ति होती है। अनन्त नाग सूर्य, वासुकि सोम का, तक्षक मंगल का, कर्कोटक बुध, पद्म गुरु का, महापद्म शुक्र का, कुलिक एवं शंखपाल शनैश्चर ग्रह के रुप हैं।

सनातन धर्म में पक्षी एवं पशुओं को भी पूजने का विधान बनाया गया है, क्योंकि यह भी पर्यावरण को व्यवस्थित रखने में सहायक होते है। ऐसा ही एक त्यौहार नाग पचंमी है। जिस दिन नागों एवं सांपों का पूजन होता है। यह पर्व इस बार श्रावण शुक्ल पंचमी 25 जुलाई 2020 शनिवार को मनाया जाएगा। नाग चूहों को खाकर उनकी संख्या को सिमित रखते है। चूहे यदि बड़ी मात्रा में हो जाए तो फसलों एवं अनाज को नुकसान पहुंचा सकते है। इसलिए नागों को पूजा जाता है। भगवान शिव तो इसको गहनों के रूप में धारण करते है।

नागपचंमी 2020 शुभ मुहूर्त (Naag Panchami 2020 Subh Muhurat) पूजा महूर्त- सुबह 5 बजकर 42 मिनट से 8 बजकर 24 मिनट तक (25 जुलाई 2020)।

1. नागपंचमी के दिन घर की सफाई कर स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें।
2. इसके बाद घर के मुख्य द्वार पर दोनों ओर सांप की आकृति बनाएं।
3. इसके बाद पूजा स्थल या फिर एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर नाग देवता की प्रतिमा स्थापित करें, उनका दूध से अभिषक करें।
4. इसके बाद नाग देवता को पुष्प , नैवेद्य, चंदने, तांबूल आदि अन्य चीजें अर्पित करके उनकी विधिवत पूजा करें और नागपंचमी की कथा सुनें।
5.अंत में धूप व दीप से नागदेवता की आरती उतारें।

नाग देवता की आरती 

आरती कीजे श्री नाग देवता की, भूमि का भार वहनकर्ता की

उग्र रूप है तुम्हारा देवा भक्त, सभी करते है सेवा

मनोकामना पूरण करते, तन-मन से जो सेवा करते

भक्तों के संकट हारी की आरती कीजे श्री नागदेवता की

आरती कीजे श्री नाग देवता की ,भूमि का भार वहनकर्ता की

महादेव के गले की शोभा ग्राम देवता मै है पूजा

श्ररेत वर्ण है तुम्हारी धव्जा

दास ऊकार पर रहती क्रपा सहसत्रफनधारी की