पश्चिमोत्तानासन करने से दूर भागती है ये समस्या

पश्चिमोत्तानासन पश्चिमोत्तानासन दो शब्दों पश्चिम और उत्तानासन से मिलकर बना है. इसमें पश्चिम को पीठ को बताया गया है जबकि उत्तानासन का तात्पर्य अपने शरीर के पीछे वाले हिस्से को आगे की ओर खींचना है.

आसान शब्दों में कहें तो समतल भूमि पर बैठकर अपने शरीर के पीछे वाले हिस्सों को आगे करना पश्चिमोत्तानासन है. इस योग को करने से पेट पर बल पड़ता है. साथ ही पेट में खिंचाव पैदा होता है. इससे एसिडिटी की समस्या में आराम मिलता है.