कोरोना वायरस से बचने के लिए लगवाए ये, नहीं तो…

वायरस, बैक्टीरिया, फंगस या परजीवी- इन तमाम तरह के रोगाणुओं के कारण सेप्सिस की शुरुआत हो सकती है। न्यूमोनिया, किसी घाव में संक्रमण, मूत्रनली के संक्रमण या पेट के संक्रमण अक्सर सेप्सिस का कारण बनते हैं।

कई आम मौसमी इन्फ्लूएंजा वायरसों के अलावा दूसरे तेजी से फैलने वाले वायरसों के कारण भी ऐसा होता है- जैसे कि इबोला, पीत ज्वर, डेंगू, स्वाइन फ्लू, बर्ड फ्लू या फिर आजकल फैला हुआ कोरोना वायरस।

इतनी बड़ी जानलेवा स्थिति होने के बावजूद इसके बारे में जानकारी और जागरुकता का बहुत अभाव दिखता है। जर्मन सेप्सिस फाउंडेशन की सलाह है कि लोगों को इन्फ्लूएंजा वायरस और न्यूमोकॉक्कस के खिलाफ टीका लगवाना चाहिए।

कमजोर प्रतिरोधी तंत्र वाले नवजात बच्चों और डायबिटीज, कैंसर, एड्स और दूसरी गंभीर बीमारियों से ग्रस्त बुजुर्गों को तो इसका खास खतरा होता है।

संक्रमण के आम लक्षणों के अलावा जो खास लक्षण सेप्सिस की ओर इशारा करते हैं वे हैं ब्लड प्रेशर में अचानक गिरावट आना और उसी के साथ दिल की धड़कन तेजी से ऊपर जाना।

साथ में बुखार, भारी और तेज तेज सांसें चलना और बहुत बीमार महसूस करना सेप्सिस के लक्षण होते हैं। इसके बाद अगला और गंभीर चरण होता है सेप्टिक शॉक, जिसमें ब्लड प्रेशर खतरनाक स्तर तक गिर जाता है। ऐसे में इमरजेंसी सेवा की मदद लेनी चाहिए।

अगर किसी संक्रमण के चलते व्यक्ति का प्रतिरोधी तंत्र इतना ज्यादा सक्रिय हो जाए कि उसके कारण अंग ठीक से काम करना बंद कर दें तो ऐसी जानलेवा स्थिति को सेप्सिस कहते हैं।

ऐसी खतरनाक प्रतिक्रिया के कारण शरीर के भीतर ऊतक नष्ट हो सकते हैं या फिर कई अंगों के काम करना बंद करने के कारण मौत भी हो सकती है।

हाल ही में लांसेट पत्रिका में छपी स्टडी से पता चलता है कि हर साल दुनिया भर में होने वाली मौतों में से एक चौथाई का कारण सेप्सिस ही होता है।

2015 का उदाहरण देखें तो केवल जर्मनी में ही अस्पतालों में मरने वाले करीब 15 फीसदी लोगों की मौत का कारण सेप्सिस दर्ज किया गया, जो कि तमाम तरह के खतरनाक कैंसर के कारण होने वाली मौतों से भी ज्यादा है।