चीनी यह सोचते हैं कि 21वीं सदी एशिया की नहीं, बल्कि केवल और केवल चीन की है। चीन दुनिया का एक सुपरपावर देश बनना चाहता हैं। यहीं कारण है की वो अमेरिका के साथ-साथ भारत से पंगा लिए बैठा हैं।
वहीं सिंघुआ यूनिवर्सिटी के प्रफेसर यान क्यूटोंग ने कहा कि सीधे जंग और सैन्य झड़प में काफी फर्क होता है। लद्दाख और ताइवान में चल रहा यह तनाव जंग में तब्दील हो सकता है, जिसमें अमेरिका भी हिस्सा ले सकता है। इससे चीन को भारी नुकसान हो सकता हैं।
चीन पूरे एशिया में अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर रहा हैं तथा अपनी दादागिरी दिखाने से बाज नहीं आ रहा हैं। एक ओर वो भारत के साथ सीमा पर तनाव पैदा कर रहा हैं तो दूसरी ओर ताइवान पर कब्ज़ा करने की रणनीति बना रहा हैं।
चीन के इस विस्तारवादी नीतियों से एशिया में जंग का खतरा उत्पन हो गया हैं। जिससे दुनिया में खलबली मच गई हैं। अगर चीन भारत या ताइवान के साथ युद्ध का ऐलान करता हैं तो इस युद्ध में अमेरिका की एंट्री हो जाएगी। जिससे दुनिया में भारी तबाही मच सकती हैं।