उत्तराखंड: गंदा पानी पीने से हेपेटाइटिस-ए से ग्रसित हुए बच्चें, विभाग के शोध में हुआ खुलासा

त्तराखंड के पहाड़ में गंदा पानी पीने से बच्चे हेपेटाइटिस-ए की चपेट में आ रहे है। राजकीय मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग के शोध में यह बात सामने आई है। शोध करने वाली टीम ने शासन को सलाह दी है कि बच्चों को लगने वाले निशुल्क टीमों में हेपेटाइटिस ए के टीके को भी शामिल किया जाए।

सुशीला तिवारी अस्पताल के बाल रोग विभाग में कुमाऊंभर से बाल रोगी पहुंचते हैं। विभाग के डॉक्टरों ने जनवरी 2019 से अक्तूबर 2020 तक आए बुखार व पीलिया से पीड़ित बच्चों की जांच की। इनमें से 75 प्रतिशत बच्चे हेपेटाइटिस ए से पीड़ित मिले। इनमें भी 60 प्रतिशत बालक और 40 प्रतिशत बालिकाएं थीं।

प्रोजेक्ट के तहत बाल रोग विभाग की एचओडी प्रो. रितु रखोलिया, माइक्रोबायोलॉजी विभाग की प्रो. विनीता रावत द्वारा किए गए इस शोध में पीडियाट्रिक डॉ. अभिमन्यु ने भी सहयोग किया।

हेपेटाइटिस पांच प्रकार का होता है। हेपिटाइटिस ए, बी, सी, डी और ई।हेपेटाइटिस ए एक लीवर का रोग है जो वायरस के कारण होता है।कुमाऊं के बच्चों में मिले हेपिटाइटिस ए के कई लक्षण हैं।

बच्चों को बुखार, दस्त, थकान, भूख की कमी, पेट दर्द व आंखों और त्वचा का रंग पीला, मूत्र का गहरा हो जाता है। इसका सबसे बड़ा कारण दूषित पानी है। रिसर्च रिपोर्ट भेजने के साथ सरकार से बच्चों को अन्य टीकों के साथ हेपेटाइटिस-ए का टीका लगाने का भी अनुरोध किया है।