राई या सरसों के दानों का इस्तेमाल करने से मिलता है बड़ा फायदा

शरीर के किसी भी हिस्से पर सूजन आने पर राई को पीसकर इसका लेप लगाना चाहिए. मोच आने या पैर मुड़ने पर इसके लेप को अरंड के पत्ते पर लगाकर गुनगुना करके दर्द वाली जगह पर बांधने से आराम मिलता है.  अफीम के प्रभाव से या सांप के विष के प्रभाव से यदि व्यक्ति बेहोश हो गया हो तो इसका लेप कांख, छाती और जांघ पर करें. इससे बेहोशी दूर होती है.

गठिया का दर्द हो और सूजन हो तो राई में कपूर डालकर पीसें और इस लेप को दर्द वाली जगह पर लगाकर पट्टी बांध लें. ये क्रम दोहराते रहने से काफी आराम मिलता है. इसे चीनी के साथ पीसकर लेप लगाने से दर्द कम होता है.

राई के बारीक दाने सिर दर्द और माइग्रेन में काफी लाभकारी माने जाते हैं. इन बीजों में भरपूर मैग्नीशियम होता हैं जो हमारे नर्वस सिस्टम को रिलैक्स करता है. सिर में किसी भी तरह के दर्द से जूझ रहे लोगों को राई का सेवन करने के अलावा इसे पीसकर माथे पर लगाना चाहिए. इससे काफी आराम मिलता है.

आपको जानकर हैरानी होगी कि राई के ये बारीक दाने त्रिदोष यानी वात, पित्त और कफ को नियंत्रित रखने में भी कारगर हैं. आयुर्वेद के मुताबिक व्यक्ति को होने वाली सभी बीमारियों की वजह शरीर में त्रिदोष का असंतुलन ही होता है.

यदि जीभ पर सफेद मैल-सा जम जाए, भूख-प्यास न लगती हो और हर समय हल्का बुखार महसूस होता हो तो राई को पीसकर बारीक आटा बना लें. रोजाना सुबह-शाम 500 मिली ग्राम राई के आटे को शहद में मिलाकर लें.

राई या सरसों के दानों का इस्तेमाल घरों में अचार बनाने के लिए किया जाता है. इसके अलावा ढोकले, सांभर, पोहा, नारियल चटनी, दाल आदि तमाम खाने की चीजों में इसका प्रयोग तड़का लगाने के लिए किया जाता है.

राई का तड़का लगते ही व्यंजनोंं का स्वाद कई गुना बढ़ जाता है. लेकिन आपको बता दें कि राई सिर्फ तड़के तक ही सीमित नहीं है. इसमें तमाम औषधीय गुण पाए जाते हैं जो सिर दर्द और अपच से लेकर मांसपेशियों के दर्द, दाद और सांस की बीमारियों तक ढेरों बीमारियों में राहत पहुंचाते हैं. जानिए इसके हैरान करने वाले फायदे.