आज रात इन देशो के बीच छिड सकता है युद्ध, भारी संख्या में तैनात की मिसाइले…

दोनों ही देश पूर्व सोवियत संघ का हिस्सा थे। लेकिन सोवियत संघ के टूटने के बाद दोनों देश स्वतंत्र हो गए। अलग होने के बाद दोनों देशों के बीच नागोर्नो-काराबख इलाके को लेकर विवाद हो गया।

 

दोनों देश इस पर अपना अधिकार जताते हैं। अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत इस 4400 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को अजरबैजान का घोषित किया जा चुका है, लेकिन यहां आर्मेनियाई मूल के लोगों की जनसंख्या अधिक है।

इसके कारण दोनों देशों के बीच 1991 से ही संघर्ष चल रहा है। वर्ष 1994 में रूस की मध्यस्थता से दोनों देशों के बीच संघर्ष-विराम हो चुका था, लेकिन तभी से दोनों देशों के बीच छिटपुट लड़ाई चलती आ रही है। दोनों देशों के बीच तभी से ‘लाइन ऑफ कंटेक्ट’ है। लेकिन इस वर्ष जुलाई के महीने से हालात खराब हो गए हैं। इस इलाके को अर्तसख के नाम से भी जाना जाता है।

दरअसल, अर्मेनिया और अजरबैजान की सेना के बीच 27 सितंबर से ही नागोर्नो-काराबख क्षेत्र में एक इलाके पर कब्जे को लेकर हिंसक संघर्ष जारी है। इस संघर्ष में अब तक दोनों ओर से कई लोगों की मौत हो चुकी है। दोनों देशों के बीच कई बार युद्ध विराम लागू करने को लेकर सहमति भी बनी है, लेकिन संघर्ष दोबारा शुरू हो जाता है।

अजरबैजान ने आंशिक रूप से देश में मार्शल लॉ लागू कर दिया है। अजरबैजान ने अपने हवाई अड्डों को सभी अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए बंद कर दिया है। केवल तुर्की को इससे छूट दी गयी है। तुर्की ने खुले तौर पर अजरबैजान को समर्थन देने की घोषणा की है।

अर्मेनिया के विदेश मंत्री जोहराब नटसाकनयन और अजरबैजान के विदेश मंत्री जेहुन बायरामोव के बीच स्विट्जरलैंड के जेनेवा शहर में चल रही बैठक समाप्त हो गयी है।

अर्मेनिया के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता अन्ना नाघडालयन ने शनिवार को यह जानकारी दी। बैठक के बारे में अब तक विस्तृत जानकारी नहीं दी गयी है। दोनों देशों के बीच तनाव कम करने को लेकर विदेश मंत्रियों के बीच हुई इस बैठक को काफी अहम माना जा रहा है। इससे पहले दोनों ही मंत्रियों ने मिंस्क समूह के नेताओं के साथ भी बैठक की थी।