रूस के साथ मिलकर चीन और पाकिस्तान करेगा ये काम, मिसाइलो के साथ…

चीन और रूस के बीच दो दशक पहले ”वृहद सामरिक साझेदारी” के बाद से सैन्य मामलों और कूटनीतिक मामलों पर सहयोग बढ़ा है। इसका मुख्य मकसद अमेरिकी प्रभाव का सामना करना है।

 

उनकी सेनाएं नियमित रूप से संयुक्त अभ्यास करती हैं और दोनों देश संयुक्त राष्ट्र में सीरिया एवं उत्तर कोरिया समेत कई मामलों पर एक दूसरे का अकसर समर्थन करते हैं।

उसने कहा कि ये अभ्यास चीन और रूस के संबंधों के लिए ऐसे समय में विशेष महत्व रखते हैं, ”जब पूरी दुनिया वैश्विक महामारी से जूझ रही है।”

चीन में पिछले कुछ सप्ताह से घरेलू स्तर पर कोरोना वायरस संक्रमण का कोई मामला सामने नहीं आया है, जबकि रूस में नए मामले सामने आ रहे हैं और वहां 10 लाख से अधिक लोग संक्रमित हैं।

मंत्रालय ने बताया कि 21 से 26 सितंबर तक चलने वाले अभ्यास के दौरान रक्षात्मक रणनीति, घेरेबंदी, युद्धक्षेत्र नियंत्रण और कमान पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

आर्मेनिया, बेलारूस, ईरान, म्यामां, पाकिस्तान और अन्य देशों के साथ चीनी और रूसी बल इस महीने दक्षिणी रूस में होने वाले संयुक्त सैन्य अभ्यास में शामिल होंगे।

चीन के रक्षा मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को एक विज्ञप्ति में बताया कि ‘कॉकस 2020’ अभ्यास में पहिए वाले वाहन और हल्के हथियार तैनात किए जाएंगे, जिन्हें चीन के नए संस्करण के परिवहन विमान अभ्यास स्थल लेकर जाएंगे।